चित्रकार आरके लक्ष्मण जिन्होंने कार्टून के जरिए व्यंग्य कर जनता की समस्याओं को किया उजागर

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By रितिका कमठान | Oct 24, 2022

चित्रकार आरके लक्ष्मण जिन्होंने कार्टून के जरिए व्यंग्य कर जनता की समस्याओं को किया उजागर

कार्टूनिस्ट आरके लक्ष्मण एक ऐसा नाम है जिसने लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए अहम रोल अदा किया। देश में आम लोगों की समस्याओं को अलग-अलग तरीकों से उठाने में उन्होंने महारत हासिल की थी। उन्होंने शब्दों की जगह कार्टून को अपना हथियार बनाया। कार्टून बनाकर उन्होंने आम जनता की परेशानियों का चित्रण करना शुरू किया। उनकी कार्टून श्रृंखलाओं के जरिए आम लोगों के दर्द को आसानी से समझा और महसूस किया जा सकता था। व्यंगचित्र के जरिये आम लोगों की आशाओं, जरूरतों, मुश्किलों और कमियों को आरके लक्ष्मण ने एक कार्टून कैरेक्टर "कॉमन मैन" के जरिए बताने की कोशिश की।

 

आरके लक्ष्मण के बारे में

आरके लक्ष्मण का जन्म 24 अक्टूबर 1921 को मैसूर में हुआ था। उन्हें हास्य और व्यंग्य कार्टून और चित्रकारी के लिए देश और दुनिया में अच्छी पहचान मिली। उन्होंने कार्टून को लोगों की परेशानियां उठाने का जरिया बनाया। आम जनता के अलावा राजनीतिक व्यंग्य करने में भी उनका जवाब नहीं था।

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ऐसा रहा वैवाहिक जीवन

आरके लक्ष्मण का पहला विवाह भरतनाट्यम नृतकी और फिल्म अभिनेत्री कुमारी कमला लक्ष्मण के साथ हुआ। हालांकि दोनों की संतान ना होने के कारण उन्होंने दूसरा विवाह किया। उनकी दूसरी पत्नी कमला लक्ष्मण थी, जो लेखिका थी। दूसरी शादी के बाद आरके लक्ष्मण के घर पुत्र ने जन्म लिया। उन्होंने द स्टार आई नेवर मेट नामक कार्टून श्रृंखला और फिल्म पत्रिका फिल्मफेयर में दूसरी पत्नी कमला का द स्टार आई ओनली मेट कार्टून भी चित्रित किया था।


जानें उनकी शिक्षा के बारे में

आरके लक्ष्मण को शुरुआती शिक्षा सर जमशेदजी जीजीभॉय स्कूल ऑफ आर्ट से मिली। उन्होंने महाराजा कॉलेज, मैसूर से उच्च शिक्षा प्राप्त की। बी.ए. के बाद उन्होंने मैसूर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के दौरान फ्रीलांस कलाकार के तौर पर स्वराज अखबार के लिए कार्टून बनाए। इन कार्टून से उन्होंने काफी प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि मिली। कार्टून के जरिए ही उन्होंने एनिमेटेड फिल्म में लक्ष्मण ने पौराणिक कथा के अहम पात्र नारद का भी चित्रण किया था।


फ्रीलांसर के तौर पर की करियर की शुरुआत

कार्टूनिस्ट के तौर पर उन्होंने कई पत्रिकाओं में काम किया। उन्होंने पहली बार मुंबई के द फ्री प्रेस जर्नल में नौकरी दी। इसके बाद उन्होंने मुंबई के द टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में पूरे 50 वर्षों तक काम किया। इस दौरान उनके बनाए गए कार्टून को काफी प्रसिद्धि मिली। उनके द्वारा बनाए गए 'द कॉमन मैन' कार्टून को ऐसी लोकप्रियता मिली की वर्षों तक वो लोगों के जेहन में ताजा रहा। इस कार्टून के जरिए उन्होंने आम जनता से जुड़ी समस्याओं को व्यंग्यात्मक तरीके से व्यक्त किया।

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इन पुरस्कारों से हुए सम्मानित

करियर के दौरान उन्होंने जनता की पीड़ा को ना सिर्फ समझा बल्कि सरकार से उन मुद्दों पर जमकर कार्टून के जरिए सवाल भी किए। उनके कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 1973 में पद्म भूषण और 2005 में पद्म विभूषण पुरस्कार दिया गया। उनका कार्य इतना शानदार था कि उन्हें देश में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी ख्याति मिली। उन्हें 1984 में एशिया का नोबेल कहे जाने वाला 'रेमन मैग्सेसे ' पुरस्कार से नवाजा गया। डाक विभाग ने कॉमन मैन पर 1988 में एक डाक टिकट जारी किया। वर्षों तक देश और दुनिया के मुद्दों को उठाने वाले आरके लक्ष्मण का निधन 26 जनवरी 2015 को 94 वर्ष की उम्र में हो गया था। बता दें कि आरके लक्ष्मण द्वारा बनाए गए कार्टूनों को पुणे में एक आर्ट गैलरी में रखा गया है जो पूर्ण रूप से उन्हें समर्पित है।

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