By अंकित सिंह | Jan 02, 2025
'जम्मू-कश्मीर और लद्दाख थ्रू द एजेस' पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल हुए। शाह ने इस दौरान कहा कि हमारे देश के हर कोने का इतिहास हजारों साल पुराना है, जहां दुनिया की सभ्यताओं को कुछ न कुछ देने के लिए काम किये गये। उन्होंने कहा कि परतंत्रता के समय हमें यह भूलाने का प्रयास किया गया। एक मिथक प्रचारित किया गया कि यह राष्ट्र कभी एकजुट नहीं था और स्वतंत्रता का विचार बेमानी था। बहुत से लोगों ने इस झूठ को स्वीकार भी किया।
शाह ने आगे कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान इतिहास में लिखी गई हमारे देश की परिभाषा उनकी जानकारी की कमी के कारण गलत थी। विश्व के सभी राष्ट्रों का अस्तित्व भू-राजनीतिक है। वे युद्ध या समझौते के परिणामस्वरूप सीमाओं द्वारा बनते हैं। उन्होंने दावा किया कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जो 'भू-सांस्कृतिक' देश है और संस्कृति के कारण ही सीमाएँ निर्धारित होती हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, गांधार से ओडिशा तक और बंगाल से असम तक, हम अपनी संस्कृति के कारण जुड़े हुए हैं।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जो लोग किसी देश को किसी भू-राजनीतिक चीज़ के रूप में परिभाषित करते हैं, वे हमारे देश को परिभाषित नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि भारत को समझने के लिए हमारे देश को जोड़ने वाले तथ्यों को समझना होगा। कश्मीर और लद्दाख कहां थे, इस आधार पर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर विश्लेषण करना कि इस पर किसने शासन किया, कौन रहते थे और कौन-कौन से समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, व्यर्थ है और केवल इतिहास की कुटिल दृष्टि वाले इतिहासकार ही ऐसा कर सकते हैं।
भाजपा नेता ने कहा कि भारत की सभी क्षेत्रों में फैली 10,000 साल पुरानी संस्कृति कश्मीर में भी मौजूद थी। जब 8000 साल पुरानी किताबों में कश्मीर और झेलम का जिक्र होता है तो कश्मीर किसका है, इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। इसे कोई भी कानून की धाराओं का इस्तेमाल कर अलग नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि कानून का उपयोग करके इसे अलग करने का प्रयास किया गया लेकिन समय के प्रवाह में वे धाराएँ निरस्त कर दी गईं और सभी बाधाएँ दूर हो गईं।