ज्योतिरादित्य सिंधिया ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर तरुण विजय की पुस्तक की प्रशंसा की, जानें इसके बारे में

By अंकित सिंह | Sep 01, 2022

गणेश चतुर्थी के मौके पर प्रसिद्ध लेखक और पूर्व राज्यसभा सांसद तरुण विजय ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर लिखी अपनी पुस्तक को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भेंट की। इस पुस्तक में श्याम प्रसाद मुखर्जी के जीवन के सभी पहलुओं को शामिल करने की कोशिश की गई है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस पुस्तक की तारीफ की है। साथ ही साथ इस पुस्तक को लिखने के लिए तरुण विजय का भी धन्यवाद किया है। इस पुस्तक में डॉक्टर श्याम प्रसाद मुखर्जी की चित्रमय जीवनी को प्रस्तुत किया गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह पुस्तक भेंट की गई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस पुस्तक की तारीफ करते हुए कहा कि यहां उन्हें बेहद प्रभावित कर रहा है।

 

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ज्योतिरादित्य सिंधिया पुस्तक के पीछे वर्षों की कड़ी मेहनत से प्रभावित हुए हैं। इसकी सराहना करते हुए इसे अपने कार्यालय के पुस्तकालय में श्रद्धा की भावना से रखवाया। आपको बता दें कि पुस्तक भारत सरकार के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रकाशित एक विशेष डीलक्स संस्करण है। इस पुस्तक को विश्व प्रसिद्ध श्रेयांश बैद स्टूडियो ने डिजाइन किया है जिसके 322 पन्नों में श्याम प्रसाद मुखर्जी के बचपन से लेकर अंतिम संस्कार तक के 350 से अधिक दुर्लभ चित्र हैं। इस पुस्तक के जरिए आम लोगों को श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बारे में जानने का मौका मिल सकता है। तरुण विजय लगातार अपने पुस्तक के जरिए ऐसे ही वीर पुरुषों के कहानियों को सामने लाते रहे हैं।

 

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कौन है श्यामा प्रसाद मुखर्जी

केंद्र की भाजपा सरकार ने जब कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म किया तो श्याम प्रसाद मुखर्जी का जिक्र खूब हुआ। दरअसल, वह श्यामा प्रसाद मुखर्जी ही थे जिन्होंने अखंड भारत की कल्पना की थी। श्याम प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर के अलग झंडे और संविधान का विरोध किया था। उन्होंने इसके लिए तत्कालीन नेहरू सरकार को भी चुनौती दी थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू कश्मीर के लिए अपनी कुर्बानी दी थी। यही कारण रहा कि भारत हमेशा इस बात पर जोर देती रही कि जहां बलिदान हुए मुखर्जी वह कश्मीर हमारा है। भाजपा श्यामा प्रसाद मुखर्जी के पद चिन्हों पर चलने की कोशिश करती है। वह भाजपा के लिए हमेशा से प्रेरणास्रोत रहे हैं। वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ शिक्षाविद और लोकप्रिय राजनेता भी थे। 

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