By अभिनय आकाश | Sep 05, 2022
भारत के मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने कहा कि संसद में वकीलों की संख्या घट रही है, जबकि देश के संविधान का मसौदा तैयार करने वाले ज्यादातर लोग कानून के पेशे से थे। न्यायाधीशों को समाज द्वारा मनुष्य द्वारा किए गए किसी भी कार्य या व्यवहार का न्याय करने की शक्ति दी गई है। मुख्य न्यायाधीश उदय ललित ने जोर देकर कहा कि न्यायाधीश इस शक्ति के आधार पर कानून के कार्यान्वयन के माध्यम से एक मजबूत लोकतंत्र बना सकते हैं। उन्होंने कानून के हर छात्र से न्यायपालिका को एक मजबूत पेशा मानने की भी अपील की। जस्टिस ललित को महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, वारंगा द्वारा सम्मानित किया गया।
अभिनंदन का जवाब देते हुए मुख्य न्यायाधीश ललित ने कहा कि जब कोई विषय न्यायालय के समक्ष आता है तो दोषी को दंड मिलना चाहिए और किसी के साथ गलत किया गया हो तो उसे कानून का संरक्षण मिलना चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि ये न्यायपालिका का कर्तव्य है और हमें ये करने का प्रयास करना होगा। न्यायमूर्ति ललित ने कहा, ‘हमारा देश कानून के शासन से चलता है। सत्य की जीत होगी और देश में इसी तरह के लोकाचार हैं तथा न्यायपालिका अपवाद नहीं है।
कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण गवई, चीफ जस्टिस की पत्नी अमिता ललित, बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता, बॉम्बे हाईकोर्ट के नागपुर बेंच के प्रशासनिक जज सुनील शुक्रे, जस्टिस प्रसन्ना वरहाड़े, जस्टिस अतुल चंदुरकर, जस्टिस अनिल किलोर, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मौजूद थे. न्यायमूर्ति विकास सिरपुरकर, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ। मंच पर विजेंदर कुमार व अन्य मौजूद थे।