विदेश मंत्री जयशंकर ने ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों के साथ उठाया वीजा ‘बैकलॉग’ का मुद्दा, कहा- कहा- साथ मिलकर काम करना जरूरी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 12, 2022

सिडनी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों के साथ वीजा ‘बैकलॉग’ का मुद्दा उठाया, विशेष रूप से उन छात्रों को लेकर जो कोविड महामारी के बाद देश के शैक्षणिक संस्थानों में लौटने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें आश्वासन दिया गया है कि इस साल के अंत तक समस्या का समाधान कर दिया जाएगा। ऑस्ट्रेलिया के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे जयशंकर ने मंगलवार को यहां भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, और मैं आपको बताना चाहता हूं कि जब मैं कैनबरा में था तब मैंने इसे विभिन्न मंत्रियों के साथ उठाया। हमारे सामने एक विशेष समस्या है जिसका छात्र सामना कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि स्थिति में सुधार हुआ है और लगभग 77,000 भारतीय छात्र ऑस्ट्रेलिया में वापस आ गए हैं। उन्होंने कहा, लेकिन आप सभी जानते हैं कि यह संख्या बहुत अधिक होनी चाहिए और हो सकती है तथा मुझे आश्वासन दिया गया है कि साल के अंत तक वीजा बैकलॉग का, विशेष रूप से छात्रों के संबंध में, निपटारा कर दिया जाएगा। 

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जयशंकर ने कहा, यह सिर्फ छात्र नहीं हैं बल्कि एक समुदाय है, लोगों के यात्रा करने के पारिवारिक कारण भी हैं। मुझे लगता है कि आज पर्यटन को बड़े पैमाने पर फिर से शुरू करने के महत्व की सराहना हो रही है। उन्होंने कहा, यह कोविड युग के बड़े व्यवधानों में से एक है जिसे हम आने वाले वर्ष में पीछे छोड़ने में सक्षम होंगे। लगभग सात लाख की आबादी के साथ ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय का आकार और महत्व लगातार बढ़ रहा है। भारत ऑस्ट्रेलिया में कुशल अप्रवासियों के शीर्ष स्रोतों में से एक है। वर्तमान में लगभग 105,000 छात्र ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में अध्ययन करते हैं। ब्रिटेन के बाद, भारतीयों का 2020 में ऑस्ट्रेलिया में दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समूह था। जयशंकर ने कहा कि दो मुद्दे-गतिशीलता पर साझेदारी एवं पारस्परिक मान्यता डिग्री और योग्यता-द्विपक्षीय संबंधों के लिए परिवर्तनकारी होंगे। उन्होंने कहा, गतिशीलता पर साझेदारी का मतलब है कि ऑस्ट्रेलिया में भारतीय कौशल और प्रतिभाओं की मांग है, उनके पास एक कानूनी ढांचा होगा, एक सहमति वाली पद्धति जिसके द्वारा वे एक देश से दूसरे देश में जाते हैं। मंत्री ने कहा कि अब भारत जापान, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे कई देशों के साथ इस तरह के समझौते कर रहा है। उन्होंने कहा, हम जर्मनी के साथ एक समझौता पूरा करने के करीब हैं। और हम, मुझे लगता है कि हमने ऑस्ट्रेलिया के साथ इसमें कुछ प्रारंभिक कार्य किया है। इसलिए मुझे बहुत उम्मीद है कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां हम तेजी से प्रगति देख सकते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि कई क्षेत्रों में, ऑस्ट्रेलिया में कौशल की कमी है। 

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जयशंकर ने कहा, अगर लोग एक देश से दूसरे देश में, एक अर्थव्यवस्था से दूसरी अर्थव्यवस्था में जा रहे हैं तो यह डिग्री और योग्यता की पारस्परिक मान्यता का मुद्दा है। तो वह भी कुछ ऐसा है जिस पर हम काम कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि उनकी ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान बेंगलुरु में एक वाणिज्य दूतावास खोलने के संबंध में रुचि भी दोहराई गई। उन्होंने कहा, यह कुछ ऐसा है जिसके लिए हम तत्पर हैं। और मुझे बहुत उम्मीद है कि हम निकट भविष्य में ऑस्ट्रेलिया में अतिरिक्त वाणिज्य दूतावास खोलने में सक्षम होंगे। और मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा भी है जो समुदाय के लिए एक बहुत ही व्यावहारिक बिंदु है। उन्होंने भारत पर महामारी के प्रभाव के बारे में भी बात की। जयशंकर ने कहा, दुनिया का हर देश पिछले तीन वर्षों में कठिन समय से गुजरा है। आप जानते हैं कि कोई भी देश नहीं है, न ही कोई ऐसा है जो कोविड से बुरी तरह प्रभावित न हुआ हो। आज महत्वपूर्ण यह है कि कौन सा देश एक बेहतर तरीके से, त्वरित गति से कोविड से बाहर आ रहा है।” मंत्री ने कहा, भारत आज बहुत मजबूती से उबरने (महामारी से) की राह पर है। उन्होंने कहा, हमने बहुत दृढ़ता के साथ, एक संकल्प के साथ और कई मायनों में बहुत दूरदर्शिता के साथ कोविड से बड़े पैमाने पर लड़ाई लड़ी है। इस अवधि में सबसे पहले भारत के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर उन्नयन देखा गया है।’’ मंत्री ने यह भी बताया कि कैसे डिजिटलीकरण ने भारत को बदल दिया। उन्होंने कहा, हम भारत में सार्वजनिक सेवाओं को उस पैमाने पर वितरित करने में सक्षम हैं जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। यह केवल इसलिए हो रहा है क्योंकि आज हमारे पास डिजिटल आधार और नेतृत्व है। सुशासन के लिए प्रौद्योगिकी को कैसे लागू किया जाए, इस बारे में प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण आज जमीन पर परिणाम दे रहा है।’’ जयशंकर ने कहा कि भारत की कोविड प्रतिक्रिया का एक केंद्रीय मुद्दा यह सुनिश्चित करना था कि 100 साल पहले जब स्पैनिश फ्लू आया था, तब फ्लू से ज्यादा लोग भूख से मरे थे, इस बार कोई भी भूख से नहीं मरेगा। उन्होंने कहा कि सभी को बैंक खाता दिलाने की सरकार की पहल ने कोविड के दौरान लाभार्थियों को धन हस्तांतरित करने में मदद की। विदेश मंत्री ने कहा, क्योंकि आज एक डिजिटल आधार है जहां आप जानते हैं कि लाभार्थियों की पहचान की जाती है, उनका सत्यापन किया जाता है, उनकी निगरानी की जाती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि निकट भविष्य में भारत एक आधुनिक विकसित राष्ट्र बने। जयशंकर ने भारतीय समुदाय से कहा कि अब वे एक ऐसा भारत देखेंगे जो दुनिया से कहीं ज्यादा जुड़ा हुआ है और जो दुनिया के लिए ज्यादा प्रासंगिक होगा।

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