By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 06, 2024
नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि पति की किसी गलती के बिना पत्नी का बार-बार अपने ससुराल का घर छोड़कर चले जाना मानसिक क्रूरता का कृत्य है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वैवाहिक संबंध परस्पर समर्थन, समर्पण और निष्ठा के माहौल में फलता-फूलता है तथा दूरी और परित्याग इस जुड़ाव को तोड़ता है। अदालत की यह टिप्पणी एक-दूसरे से अलग रह रहे एक दंपति को पत्नी द्वारा क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक प्रदान करते हुए आई।
महिला के पति ने तलाक का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी का गुस्सैल और अशांत स्वभाव है तथा वह कम से कम सात बार उसे छोड़कर चली गई। तलाक प्रदान करने से एक परिवार अदालत के इनकार करने को चुनौती देने वाली अपील स्वीकार करते हुए पीठ ने उल्लेख किया कि 19 साल की अवधि के दौरान सात बार वह अलग हुई, और प्रत्येक की अवधि तीन से 10 महीने की थी। पीठ में न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा भी शामिल हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि लंबे समय तक अलग-अलग रहने से वैवाहिक संबंध को अपूरणीय क्षति पहुंच सकती है, जो मानसिक क्रूरता है और वैवाहिक संबंधों से वंचित करना अत्यधिक क्रूरता का कृत्य है।
अदालत ने कहा, ‘‘यह एक स्पष्ट मामला है जहां प्रतिवादी (पत्नी) ने समय-समय पर, अपीलकर्ता की किसी गलती के बिना, ससुराल का घर छोड़ दिया। समय-समय पर प्रतिवादी का इस तरह से जाना मानसिक क्रूरता का कृत्य है, जिसका अपीलकर्ता (पति) को अकारण या बिना किसी औचित्य के सामना करना पड़ा।’’ पीठ ने कहा, ‘‘यह अपीलकर्ता को मानसिक वेदना का मामला है जिससे वह तलाक पाने का हकदार है।