लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित की जा रही पीसीएस व आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा में मानकीकरण (नॉर्मलाइजेशन) को लेकर छात्र जो आंदोलन कर रहे हैं,वह कहीं राजनैतिक रूप तो नहीं लेता जा रहा है। विपक्ष छात्रों के गुस्से को योगी सरकार के खिलाफ सियासी हथियार तो नहीं बना रहा है। ऐसा इस लिये लग रहा है क्योंकि छात्रों की जो मांगे हैं वह तर्कसंगत कम जिद्द वाली ज्यादा हैं। इतना ही नहीं छात्रों के प्रदर्शन में वह ताकतें भी नजर आ रही है जो किसी तरह से छात्र-छात्राएं नजर नहीं आ रहे हैं। विपक्ष भले योगी सरकार के खिलाफ इसको सियासी मोहरा बना रहा हो, लेकिन इस आंदोलन को लेकर शिक्षाविदों की राय अलग है।कई शिक्षाविदों और विषय विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी तरह के विरोध में से पहले छात्रों को प्रक्रिया को समझना जरूरी है। विरोध में सीधे सड़क पर उतर आना ठीक नहीं है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षक रहे प्रो. योगेश्वर तिवारी का कहना है कि आंदोलित छात्रों को मानकीकरण की प्रक्रिया की वास्तविक स्थिति की जानकारी लेने के उपरांत ही कोई निर्णय लेना चाहिए। शिक्षाविद और काउंसलर डॉ. अपूर्वा भार्गव का कहना है कि मानकीकरण की प्रक्रिया का विरोध अगर इस आधार पर किया जा रहा है कि सरल और कठिन प्रश्नों के पूछे जाने से समान लाभ सबको नहीं मिलेगा तो यह उचित नहीं है। प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षाओं में गुणात्मक सुधार की आवश्यकता हमेशा से रही है, ताकि इस सेवा के योग्य अभ्यर्थियों को इसमें स्थान मिल सके। मानकीकरण की प्रक्रिया भी इसी परीक्षा में गुणात्मक सुधार का एक प्रयास है। पहले से कई राज्यों में यह प्रणाली अमल में लाई जा रही है, इस आधार पर भी इसे लागू करने का विरोध समझ से परे है।
उधर, आयोग के बाहर चल रहे प्रदर्शन के दौरान सरकारी बैरियर व कोचिंग का बोर्ड तोड़ने पर 12 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें से दो नामजद अभिषेक शुक्ला और राघवेन्द्र व अन्य अज्ञात आरोपी हैं। उधर, माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने पर 10 को हिरासत में लिया गया है, जिनसे देर रात तक पूछताछ जारी है। जबकि आज तीसरे दिन भी उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अभ्यर्थियों का उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन जारी है। वे मांग कर रहे हैं कि पीसीएस और आरओ/एआरओ परीक्षाएं एक दिन और एक शिफ्ट में आयोजित की जाएं।
इससे पहले, प्रयागराज में धरना स्थल पर मंगलवार को ड्रम और नगाड़ों के शोर में यह नारा गूंजता रहा- जुड़ेंगे और जीतेंगे भी। अभ्यर्थियों ने नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ आयोग पर तंज कसते हुए पोस्टर के जरिये पदों की रेट लिस्ट भी जारी की। मंगलवार सुबह पुलिस कमिश्नर तरुण गाबा अभ्यर्थियों के बीच पहुंचे थे और उन्होंने अभ्यर्थियों से कहा था कि वह भी कभी प्रतियोगी छात्र रहे हैं। नियम कानून से ऊपर कोई नहीं। उन्होंने अभ्यर्थियों को सलाह दी कि आयोग के सामने से उठें और उनके साथ सिविल लाइंस स्थित धरना स्थल पर चलें, क्योंकि इससे रास्ता बंद हो गया है और आम लोगों को दिक्कत तो रही है,लेकिन छात्र अपनी जिद्द पर अड़े हुए हैं।