आसान जिंदगी की चाह ने बेइज्जती से डिपोर्ट होने पर किया मजबूर

By योगेंद्र योगी | Feb 13, 2025

बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले...गालिब के इस शेर से उन डिपोर्ट किए गए भारतीयों का दर्द समझा जा सकता है, जिन्हें अमरीका से भारत वापस भेजा गया है। अमेरिका से निर्वासित किए गए 100 से ज्यादा भारतीय प्रवासियों को लेकर अमेरिकी सैन्य विमान सी-17 ग्लोबमास्टर से वापस भारत भेजा गया है। इनमें 104 भारतीय शामिल हैं। जिसमें 72 पुरुष, 19 महिलाएं और 13 बच्चे हैं। अमरीका में करीब 18 हजार प्रवासी भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं। इन्हें भी वापस भारत भेजा जाएगा। डंकी मार कर अमरीका तक पहुंचे प्रवासी भारतीयों का काफी कुछ लुट गया। इनके लाखों रुपए बर्बाद हो गए और अमरीका बसने के सपने भी टूट गए।   


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फ़ोन पर बातचीत में डोनाल्ड ट्रंप ने अवैध आप्रवासन का मुद्दा उठाया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फ़ोन पर बातचीत के दौरान अमेरिका में रह रहे अवैध भारतीय आप्रवासियों को लेकर चिंता जताई थी। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि हमें उम्मीद है कि बिना दस्तावेज़ के अमेरिका में रह रहे भारतीयों के संबंध में जो सही होगा भारत वो क़दम उठाएगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत अवैध प्रवासन का समर्थन कतई नहीं करता। अवैध प्रवासन कई अवैध गतिविधियों से जुड़ा रहता है। ये हमारी प्रतिष्ठा के लिए ठीक नहीं है। जयशंकर ने कहा था कि अगर हमारा कोई नागरिक अमेरिका में अवैध रूप से रहता हुआ पाया जाता है और उसका भारत का नागरिक होना पाया जाता है तो हम उसके क़ानूनी रूप से भारत वापस लाने की प्रक्रिया के लिए तैयार हैं। बीते कुछ दिनों से अमेरिका दुनिया भर के देशों से आए और अमेरिका में रह रहे अवैध प्रवासियों को उनके देश भेजने की कार्रवाई कर रहा है। इस कार्रवाई को अंजाम देने वाले हैं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सबसे कठोर आप्रवासन नीति के मास्टरमाइंड स्टीफन मिलर। ट्रंप ने अपना दूसरा कार्यकाल जिस दिन संभाला, उसी दिन उन्होंने जिन कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए उन पर मिलर के हस्ताक्षर पहले से मौजूद थे। इन आदेशों में थे- जन्मसिद्ध नागरिकता को ख़त्म करना और दक्षिणी सीमा पर राष्ट्रीय इमरजेंसी घोषित करना। नीतिगत मामलों के डिप्टी डायरेक्टर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में मिलर ने ट्रंप के आप्रवासन एजेंडे को लागू करने के लिए कई कार्यकारी आदेशों का मसौदा तैयार करने की अगुवाई की। इसमें अवैध प्रवासियों के आने पर रोक और अमेरिकी धरती पर पहले से मौजूद रहने वालों को प्रत्यर्पित करने का वादा किया गया है। इन आदेशों में से एक है जन्म आधारित नागरिकता को ख़त्म करना। यह एक ऐसा क़दम है जो अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन में गारंटी दिए गए ऐतिहासिक अधिकार को नकारता है और इसे कोर्ट में चुनौती भी दी गई है। स्टीफन मिलर ट्रंपिज़्म की सबसे कट्टर नीतियों के वास्तुकार ही नहीं हैं, बल्कि एक रणनीतिकार भी हैं, जिन्होंने इन्हें असरदार तरीक़े से लागू करने के दांवपेंच में महारत हासिल कर ली है। ऐसा बहुत कम होता है कि अमेरिका में रह रहे अवैध आप्रवासियों को वापस उनके देश भेजने के काम में सेना को लगाया जाए लेकिन ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में प्रवासियों को भेजने के मिशन में सेना का इस्तेमाल किया जा रहा है। दरअसल अमरीका में बसना एक ऐसा सपना है जिसे ज्यादातर लोग हकीकत में बदलना चाहते हैं, खासतौर पर अमरीकी जीवन शैली और सुविधाएं सभी को आकर्षित करती हैं। आकषर्ण का यही जाल मुसीबत का सौदा साबित होता है। जब वैध तरीके से अमरीका में प्रवेश नहीं मिलता तो डंकी रास्ते से घुसने की कोशिश की जाती है। बेरोजगारी की समस्या और खूब धन कमाकर अच्छी जिंदगी जीने की चाह कई भारतीय युवाओं को विदेश जाकर रोजगार तलाशने के लिए प्रेरित करती है।

इसे भी पढ़ें: धनाढ्यों के विदेश पलायन पर प्रदर्शन क्यों नहीं?

आंकड़े बताते हैं कि डंकी रूट से भारत से अमेरिका जाने वालों की संख्या काफी है। विदेश जाकर बहुत सारा धन कमाने का सपना देखने वाले हजारों लोग हर साल डंकी रूट से अमेरिका जाने का जोखिम उठाते हैं। डंकी रूट एक ऐसा जोखिम है जिसमें हर कदम पर परेशानी ही परेशानी है और कई बार मौत का भी सामना करना पड़ता है। अमेरिकी सीमा पार करने के लिए लोगों को कई महीनों तक लंबी यात्रा करनी पड़ती है। मानव तस्कर इस रूट में संचालक की भूमिका में होते हैं, जो अवैध रूप से देशों की सीमाएं लांघने में मदद के बदले लोगों से अच्छी खासी रकम लेते हैं। कई बार यह रकम 50 से 85 लाख रुपये तक होती है। अमेरिका में डॉलर में धन कमाकर भारत पैसा भेजने वाले लोगों के घर अलग से पहचाने जाते हैं। कई परिवारों के लिए उनके किसी सदस्य का अमेरिका में होना स्टेटस माना जाता है। वहीं, भारत में 2018 से लगातार बेरोजगारी दर गिरने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की समस्या युवाओं के पलायन का कारण मानी जाती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर भारत के पंजाब, हरियाणा और गुजरात के लोग बेहतर वेतन वाली नौकरियों की तलाश में अवैध रूप से अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों की ओर पलायन कर रहे हैं। पिछले साल रिकॉर्ड 96,917 भारतीयों को अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया या निष्कासित किया गया था, जबकि 2021 में यह संख्या 30,662 थी।   


डंकी रूट का मतलब ऐसे रास्ते हैं जो अवैध रूप से लोगों को एक देश से दूसरे देश ले जाता है। सीमा नियंत्रण से बचने के लिए यह एक लंबी और चक्करदार यात्रा होती है। पंजाब में डंकी रूट एक दशक से भी ज्यादा समय से एक खुला रहस्य रहा है। यह शब्द पंजाबी शब्द डुंकी से आया है, जिसका अर्थ है एक जगह से दूसरी जगह कूदना। दिसंबर 2023 में डंकी प्रेक्टिस तब अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आई थी जब फ्रांस ने मानव तस्करी के संदेह में दुबई से निकारागुआ जा रहे 303 भारतीय यात्रियों वाले एक चार्टर विमान को रोक दिया था। इनमें से अधिकांश को वापस भारत भेज दिया गया था। अमरीका और युरोपीय देशों की चकाचौंध भरी जिन्दगी की जीने की चाह में हर साल सैकड़ों लोग कालकलवित हो जाते हैं।   


शरणार्थियों और प्रवासियों को अफ्रीका महाद्वीप से गुजरते समय समुद्र और जमीन पर चरम प्रकार की हिंसा, शोषण और मौत का सामना करना पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय (यूएनएचसीआर), अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) और मिश्रित प्रवासन केंद्र (एमएमसी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2024 के पहले पांच महीनों में कैनरी द्वीप समूह के लिए अटलांटिक मार्ग पर 5,000 लोग मारे गए। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 700 प्रतिशत की वृद्धि है। अनुमान है कि सहारा रेगिस्तान को भूमध्य सागर से ज़्यादा लोग पार करते हैं और रेगिस्तान में शरणार्थियों और प्रवासियों की मौतें समुद्र में होने वाली मौतों से दोगुनी होने का अनुमान है।   


मध्य भूमध्यसागरीय प्रवास मार्ग दुनिया में सबसे खतरनाक मार्गों में से एक बना हुआ है। लोग बहुत खतरनाक यात्राओं पर जाने का जोखिम उठाते हैं। प्रवास मार्ग पर अपनाने के लिए मजबूर होने वाले प्रमुख कारकों में मूल देशों और मेजबान देशों में बिगड़ती स्थिति शामिल है। जैसे कि साहेल और सूडान में नए संघर्ष- पूर्व और अफ्रीका के हॉर्न में नई और दीर्घकालिक आपात स्थितियों पर जलवायु परिवर्तन और आपदाओं का विनाशकारी प्रभाव, साथ ही शरणार्थियों और प्रवासियों के प्रति नस्लवाद और ज़ेनोफोबिया। इस तरह की स्थितियां तब तक बनी रहेंगी जब तक विश्व में शांति और समानता स्थापित नहीं होगी, लोगों को शर्मनाक तरीकों से न सिर्फ अपने मूल देशों में डिपोर्ट का बल्कि मौत का सामना भी करना पड़ेगा।


- योगेन्द्र योगी

प्रमुख खबरें

विकसित महाराष्ट्र का लक्ष्य हासिल करने के लिए बुनियादी ढांचे और कृषि को प्राथमिकता: अजित पवार

रिश्वतखोरी के आरोपी सत्र अदालत के न्यायाधीश को नहीं मिली अग्रिम जमानत

उत्तराखंड : मसूरी के स्कूल में तरणताल में डूबने से दिल्ली के एक छात्र की मौत

मैं कभी हार नहीं मानता... IPL 2025 से पहले हार्दिक पंड्या को उम्मीद MI के फैंस का मिलेगा प्यार