By डॉ. रमेश ठाकुर | Jun 29, 2023
नेपाली फिल्म ‘परस्त्री’ की कहानी चर्चाओं में है। कहानी में पति-पत्नी की बेवफाई को अलहदा तरीके से गढ़ा गया है। हालांकि इस सब्जेक्ट पर पहले भी कई फिल्मों का निर्माण हुआ। पर, इस फिल्म में नेपाली फिल्मकारों ने कुछ नया मसाला डाला है। कलाकार दिल्ली के अलावा कई शहरों में जाकर प्रमोशन कर रहे हैं। फिल्म 30 जून को भारत-नेपाल दोनों में देशों में एक साथ रिलीज होगी। अभिनेत्री के किरदार में फेमस नेपाली हिरोइन ‘शिल्पा मास्के’ हैं जिन्होंने भारतीय फिल्म ‘मिशन इंपॉसिबल’ व अक्षय कुमार के साथ ‘गोल्ड’ में भी काम किया था। शिल्पा मास्के को नेपाल की प्रसिद्ध अभिनेत्रियों में गिना जाता है। फिल्म ‘परस्त्री’ में उनका अभिनय करना कितना चुनौतीपूर्ण रहा, जैसे विषयों पर पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर ने उनसे गुफ्तगू की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश-
प्रश्नः फिल्म को भारत में प्रदर्शित करने के पीछे कोई खास वजह?
उत्तर- मकसद बहुत नेक है। क्योंकि ‘परस्त्री’ में दोनों देशों के कलाकारों ने साझा अभिनय किया है। इंडो-नेपाल के दरम्यान को-प्रोड्युकॅशन के तहत बनी इस फिल्म से दोनों देशों के बीच ‘कला और मनोरंजन’ के आदान-प्रदान का एक नया अध्याय आरंभ होगा। मुझे लगता है कि हमें निरंतर दोनों देशों के सहयोग से फ़िल्में बनाते रहना चाहिए ताकि संबंध और भी प्रगाढ़ हों। दोनों ओर बनने वाली प्रत्येक फिल्म दोनों तरफ के दर्शक देख पाएं। मुझे लगता है हमारे इस प्रयास के बाद बहुत कुछ बदलाव होगा।
प्रश्नः ‘परस्त्री’ फिल्म आपको कैसे मिली?
उत्तर- डायरेक्टर की ओर से ऑफर आया, मैं मना नहीं कर पाई, तुरंत हां बोल दिया। जब कहानी समझी, तो लगा विषय वास्तव में बहुत कठिन है। ऐसे दृश्यों को निभाना होगा, जो किसी चुनौतियों से कम नहीं? हिम्मत की, खुद को सहज किया। दोस्तों से राय ली, पारिवारिक लोगों का ख्याल रखा। दो दिन बाद फिल्म की शूटिंग शुरू हुई, उसके बाद पता ही नहीं चला। फिल्म में जो भी दिखाया है, देखने वालों को आज की हकीकत लगेगी। क्योंकि ऐसा समाज में घटित हो रहा है।
प्रश्नः फिल्म की कहानी को अगर कम शब्दों में समझें तो कैसे बताएंगी आप?
उत्तर- परस्त्री की पटकथा मानवीय रिश्तों की जटिलताओं, विवाहेत्तर संबंधों में बेवफाई, प्यार में मिलने वाले धोखे और काम वासना की पृष्ठभूमि में रची है। यह पति-पत्नी और वो के इर्द-गिर्द घूमती दिखेगी।
प्रश्नः फिल्म का निर्माण किसने किया है?
उत्तर- निर्देशक हैं सूरत पांडे, जिन्होंने नेपाल में एक से बढ़कर एक फ़िल्मों का निर्देशन किया है। उनकी कई फिल्में समाज सुधार के लिहाज से मिसालें हैं। ये फिल्म भी नया कीर्तिमान स्थापित करेगी। देखने वाले दर्शकों की रुचि अंत तक बनी रहेगी। ये फ़िल्म दर्शकों को कई स्तरों पर सोचने के लिए मजबूर करेगी। एक-दूसरे की परवाह किए बिना लोग लालच में साथ छोड़कर भाग रहे हैं, अपनों से बेवफाई कर रहे हैं, ऐसी असल कहानियों को फिल्म में अच्छे से दर्शाया गया है।
प्रश्नः फिल्में चाहें सामाजिक विषय पर हों या ‘थ्रिलर-सस्पेंस’ सभी में फूहड़ता-नग्नता का प्रदर्शन होता है, क्या नेपाल में भी ऐसा है?
उत्तर- देखिए, सीन और सब्जेक्ट की डिमांड पर निर्भर होते हैं सभी दृश्य। नेपाली फिल्में भी भारतीय फिल्मों से अलग नहीं होतीं। एक जैसा व्यवहार होता है। क्योंकि संस्कृति दोनों देशों की साझा है। खान पीना, रहन-सहन सब कुछ एक जैसा है। लेकिन फिर भी फिल्में मर्यादा और दायरे में रहकर बनें तो अच्छा होता है। वैसे, दर्शकों का टेस्ट अब पहले के मुकाबले बदल चुका है, इसलिए निर्माताओं ने उनकी मांग के अनुसार फिल्में बनानी शुरू कर दी हैं।
प्रश्नः आपने हिंदी फिल्मों में भी काम किया है?
उत्तर- जी हां। मेरा एक्सपिरिएंस यही है कि दोनों की फिल्मों में एक जैसा माहौल रहता है। अक्षय कुमार के साथ मैंने काम किया है, इसके अलावा अन्य फिल्में भी की हैं। कुछ फिल्में लाइन में हैं। भारत मेरे लिए कोई नया मुल्क नहीं है। अपना-सा लगता है, काठमांडू-दिल्ली एक जैसे शहर लगते हैं।
-डॉ. रमेश ठाकुर