By डॉ. रमेश ठाकुर | Nov 07, 2022
बॉलीवुड एक्टर अभिजीत सिन्हा वास्तविक सब्जेक्ट पर काम करने किए जाने जाते हैं। ऐसे विषय जो जीवित इंसान से वास्ता रखते हैं, इनके द्वारा अभिनीत ‘अदृश्य’ फिल्म को आज भी दर्शक नहीं भूले हैं। वैसी ही उनकी एक और फिल्म पिछले सप्ताह रिलीज हुई, फिल्म का नाम है ‘होटल मर्डर केस’। जिसमें उन्होंने पुलिस अफसर का रोल निभाया हैं। फिल्म की कहानी बिहार में घटी एक पूर्व घटना पर आधारित है, जिसमें सस्पेंस और थ्रिलर दोनों का मिक्स है। फिल्म की पटकथा और अपने रोल के संबंध में एक्टर अभिजीत सिन्हा ने पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर से विस्तृत बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश।
प्रश्नः फिल्म की पटकथा क्या है?
उत्तर- औरों से अलग है ‘होटल मर्डर केस’ फिल्म। फूहड़ दृश्य, हंसौड व नग्नता जैसे सीन इस फिल्म में नहीं हैं। सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म है। कहानी में दिखाया गया है कि बोधगया के एक स्थानीय होटल में एक जोड़ा आकर रुकता है। अगले दिन नशे की हालत में होटल आते हैं और थोड़ी देर बाद रेस्टोरेंट पहुँचते हैं, वेटर को खाने का आर्डर देते हैं। कुछ देर बाद वेटर को दोनों मृत अवस्था में मिलते हैं। सूचना पर लोकल थाने के इंस्पेक्टर शमशाद शेख वहां पहुंचते हैं और टीम के साथ तफ्तीश करते हैं। कड़ी को सुलझाने में कई मोड़ आते हैं, लेकिन अंत में सच्चाई का पता चलता है।
प्रश्नः फिल्म में अपने रोल के संबंध में कुछ बताएं?
उत्तर- बिहार में कई वर्ष पूर्व एक होटल में मर्डर की घटना घटी थी, उसी पर आधारित है ‘होटल मर्डर केस’ फिल्म। फिल्म की ज्यादातर लोकेशन बिहार के बोधगया की हैं। फिल्म में मेरी भूमिका एक इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर की है, चरित्र का नाम शमशाद शेख है। सब्जेक्ट लाजवाब है, काम करने में नया अनुभव प्राप्त हुआ, शूट से पहले हमारी टीम ने उस वक्त के पुलिस अधिकारियों से क्राइम थ्योरी को ठीक से समझा, जिन्होंने केस को सुलझाया था। फिल्म में स्थानीय कलाकार के अलावा पटना रंगमंच और भोजपुरी इंडस्ट्री के बेहतरीन कलाकार भी शामिल हैं।
प्रश्नः यूट्यूब पर फिल्म को रिलीज करने का क्या मकसद रहा?
उत्तर- इस फिल्म को हमारे निर्माता नवीन सिन्हा ने व्यापारिक दृष्टिकोण से नहीं देखा, बल्कि सामाजिक पहलुओं को ध्यान में रखा। यूटयूब पर रिलीज़ करने का उनका मकसद यही रहा कि फिल्म को फ्री में ज्यादा से ज्यादा दर्शक देख पाएं। साउथ कोरिया में भी अगले सप्ताह रिलीज होगी। बोधगया में दुनिया भर से बुद्ध भगवान को मानने वाले श्रद्धालु आते हैं। उन्हें चाक-चौबंद सुरक्षा मिले, अच्छा माहौल मिले, इस पर ज्यादा फोकस किया गया है। पर्यटन पेशे को ध्यान में रखकर ज्यादातर सीन दर्शाए हैं।
प्रश्नः आप ज्यादातर पुलिस ऑफिसर का ही रोल करते हैं, कोई खास वजह?
उत्तर- शायद निर्माताओं को मुझमें पुलिस की कोई छवि दिखती होगी। वैसे, इस तरह के रोल्स के लिए इंसान का गंभीर होना बहुत जरूरी होता है। हालांकि, मुझे भी इंवेस्टीगेशन वाली भूमिकाएं ही अच्छी लगती हैं। मेरी पूर्व की फिल्मों और क्राइम पेट्रोल दस्तक, सावधान इंडिया व अन्य सीरियल्स में भी मैंने इसी तरह की भूमिकाएं निभाई हैं। बाकी जैसी फिल्म और स्क्रिप्ट की जैसी डिमांड होती है वैसा करता हूं। रोल के मामलों में मैं ज्यादा चूजी नहीं हूं।
प्रश्नः कम बजट वाली फिल्मों को दर्शक अब ज्यादा सराहने लगे हैं?
उत्तर- बजट नहीं, विषय मायने रखता है। दर्शक अब चकाचौंध वाली लोकेशनों को नापसंद करने लगे हैं। वास्तविक घटनाओं से वास्ता रखने वाले विषयों में रूचि लेते हैं। ये अच्छा रुझान है, इससे सिनेमा का इतिहास बदलेगा और बदलाव तो प्रकृति का नियम भी है। फिल्में समाज के बदलाव का आईना होती हैं, लेकिन अब बिजनेस को ध्यान में रखकर निर्मित होती हैं।
-डॉ. रमेश ठाकुर