मोदी सरकार द्वारा किए गए तमाम कोशिशों के बावजूद भारत में भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। हाल ही में एक सर्वेक्षण से पता चला है कि 39% भारतीयों को सार्वजनिक सेवाओं का लाभ उठाने के लिए रिश्वत लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है।सर्वेक्षण के अनुसार,अकेले भारत में 89 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि सरकारी भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है।17 एशियाई देशों में किए गए इस सर्वेक्षण में पता चला है कि हर पांच में से एक व्यक्ति ने सार्वजनिक सेवाओं का उपयोग करने के लिए पिछले 12 महीनों में अधिकारियों को रिश्वत देने का दावा किया है।
इस सर्वेक्षण के अनुसार, देशों की सूची में भारत सबसे ऊपर है - 37 प्रतिशत के साथ कंबोडिया, 30 प्रतिशत पर इंडोनेशिया, 10 प्रतिशत के साथ दक्षिण कोरिया और 2 प्रतिशत पर जापान और मालदीव - जहां रिश्वत बड़े पैमाने पर लिए जाते है। सर्वेक्षण में छह प्रमुख सार्वजनिक सेवाओं पुलिस, अदालतें, सार्वजनिक अस्पताल जैसे को को शामिल किया गया था। सर्वेक्षण के अनुसार, पुलिस के संपर्क में आने वाले 42 प्रतिशत लोगों ने रिश्वत दी। व्यक्तिगत कनेक्शन का उपयोग भी पुलिस (39%), आईडी दस्तावेजों की खरीद (42%) और अदालतों (38%) के संबंध में बड़े पैमाने पर किया गया था।