Shaurya Path: कम खत्म होगा Israel-Hamas war, Ukraine में क्या हैं हालात? समझिए DS Tripathi से

By अंकित सिंह | Oct 28, 2023

विश्व में अस्थिरता का दौर बना हुआ है। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल ही रहा था कि इज़राइल और हमास के बीच की तनातनी सामने आ गई। फिलहाल पिछले कुछ दिनों से इजरायल और हमास युद्ध की चर्चा मीडिया की सुर्खियों में है। हम भी लगातार आपको इसके बारे में जानकारी देते रहे हैं। आज एक बार फिर से अपने खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इज़राइल-हमास युद्ध और यूक्रेन की ताजा हालात पर आपको जानकारी देने जा रहे हैं। इस कार्यक्रम में हमेशा की तरह मौजूद रहे ब्रिगेडियर डी.एस.त्रिपाठी (आर) जी। इनसे हमने खास बातचीत की। 

 

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1. इजरायल और हमास के युद्ध की तीव्रता बढ़ती जा रही है। पूरी दुनिया त्रासदी खासकर सिविलियन मौतों व मानवीय सहायता को लेकर चिन्तित है। कई देश सीजफायर की मांग कर रहे हैं पर अमेरिका सिर्फ सहायता पहुंचाते समय विराम की बात कर रहा है। ऐसा क्यों है।


- अमेरिका सीजफायर के पक्ष में नहीं है। वह अल्पविराम लेना चाहता है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि अगर सीजफायर होता है तो कहीं ना कहीं हमास को फिर से तैयारी करने का मौका मिल सकता है। अमेरिका भी पूरी तरीके से इस स्टैंड पर कायम है कि हम हमास खात्मा करना है। अब अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन भी कह रहे हैं इस समस्या का समाधान टू नेशन थिअरी ही है जबकि भारत लगातार इसका समर्थन करता रहा है। अमेरिकन बेस को निशाना बनाया जा रहा है। यही कारण है कि अमेरिका फिलहाल इजरायल युद्ध पर पूरी तरीके से फोकस रख रहा है। अमेरिका खाड़ी देशों में मौजूद अपने खुद को पूरी तरीके से मजबूत करना चाहता है। इससे इसराइल को भी फायदा होगा।



2. इजरायल ने बमबारी जारी रखी है पर अभी भी जमीनी लड़ाई शुरू नहीं की है। इसका क्या कारण है?


- जमीनी लड़ाई बहुत ही जरूरी है। आप लगातार हमास को निशाना बनाना चाहते हैं और अगर आप हमास को पूरी तरीके से खत्म करना चाहते हैं तो इसके लिए जमीनी लड़ाई लड़नी ही होगी। हमास टनल में छिपे हुए हैं और इन टनल्स तक पहुंचने के लिए जमीनी लड़ाई ही एकमात्र जरिया है क्योंकि आपको अब तक यह पता नहीं है कि यह टनल कहां है। टनल पूरी तरीके से सुख सुविधाओं से लैस है। टनल्स में जरूरी चीजों की भरमार है। ऐसे में आपको जमीन पर रहकर काम करने की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही अगर हमास के लोग इजराइल में घुसे हैं तो इसका भी खत्म जमीनी लड़ाई से ही हो सकती है। 



3. हमास अभी भी इजरायल पर रॉकेट चला रहा है। वा इजरायल को चैलेंज भी कर रहा है। साथ ही हेजोबोल्लाह भी युद्ध में कूद पड़ा है। सीरिया से भी युद्ध की आशंका बढ़ती जा रही है। इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?


- विश्व के तमाम ताकतें अरब देशों में अपनी पैठ को मजबूत रखना चाहती हैं। इजराइल में जो कुछ भी हो रहा है उसका असर वैश्विक स्तर पर पड़ रहा है। सभी देश अपने-अपने हितों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। एक ओर चीन रूस है तो दूसरी और अमेरिका और वेस्ट देश है। सभी के हित इससे जुड़े हुए हैं। अगर हिज्बुल्लाहह या फिर सीरिया से युद्ध की आशंका बढ़ती है तो इसकी भयावता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होगा। इस लड़ाई की वजह से अंतरराष्ट्रीय व्यापार पूरी तरीके से डिरल हो रही हैं।


4. सयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकेन ने इजरायल को पूरा समर्थन दिया है तथा हमास,  लश्कर ए तोइबा, जैश-ए-मोहम्मद को एक ही तरह का आतंकवादी संगठन कहा है। उन्होंने ईरान को भी चेतावनी दी है कि अगर अमेरिकी नागरिकों पर ईरान या उसके समर्थक कहीं भी अगर हमला करते हैं तो उसका जवाब तुरंत और निर्णायक रूप में दिया जाएगा। इसको आप कैसे देखते हैं?


- अमेरिका में अगले साल चुनाव होने हैं। अमेरिका किसी भी कीमत पर यह नहीं चाहता कि इस वजह से उसे नुकसान का सामना करना पड़े। इसलिए वह हमास को लेकर पूरी तरीके से आक्रामक है। साथ ही साथ इजराइल से अमेरिका का अपना हित जुड़ा हुआ है। ऐसे में अपने हित को साधने के लिए भी वह पूरी तरीके से इजरायल के साथ खड़ा है। अगर इसराइल और गल्फ क्षेत्र में कुछ भी बड़ा होता है तो अमेरिका के बेस सेंटर पर भी असर पड़ेगा। साथ ही साथ अमेरिका के लिए जो भी व्यापार केंद्र हैं वह भी नुकसान में जा सकते हैं। ईरान से अमेरिका की पुरानी दुश्मनी भी है।

 

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5. रूस यूक्रेन युद्ध के क्या हालात हैं?

- रूस यूक्रेन युद्ध पर त्रिपाठी ने कहा कि अभी बहुत ज्यादा स्थिरता देखने को नहीं मिलेगी। ना ही इस युद्ध में आक्रामकता देखी जाएगी। इसका बड़ा कारण यह है कि अभी ठंड का मौसम आ रहा है। बर्फ पर बहुत ज्यादा चीजें नहीं हो सकती हैं। लेकिन यूक्रेन पूरी तरीके से तबाह हो चुका है। यूक्रेन की सरकार पर भी कई बड़े आरोप लग रहे हैं। यूक्रेन को लेकर जो पश्चिमी देशों का रुख था, उसमें थोड़ी सी कमी आई है। इसका बड़ा कारण रूस से पश्चिमी देशों का हित भी है खास करके यूरोपीय देशों का। लेकिन रूस जहां तक पहुंच चुका है वहां से पीछे नहीं हटेगा। पुतिन ने खुद को इस दौरान मजबूत भी किया है। रूस ने अपनी अगली कड़ी की तैयारी भी शुरू कर दी है। 

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