By डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा | Feb 17, 2021
बात चाहे कोविड महामारी की हो या चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र की या शांति रक्षा मिशनों की हो या जलवायु परिवर्तन की या आर्थिक क्षेत्र की हो या आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने की, आज दुनिया के देश भारत की ओर आशा और विश्वास की दृष्टि से देखने लगे हैं। अब वैश्विक मंचों पर भारत को लेकर दुनिया के देशों द्वारा दिए जा रहे संदेशों में भारत की सर्वोच्चता प्रमुखता से उजागर होने लगी है। पिछले सप्ताह ही विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2021 को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र की उपमहासचिव अमीनो मोहम्मद ने अपने संबोधन में कहा कि भारत पर वैश्विक समुदाय का भरोसा बढ़ा है। दुनिया के देश भारत की और आशाभरी दृष्टि से देखने लगे हैं। मोहम्मद ने कहा कि भारत जी-20 में शामिल दुनिया के देशों में इकलौता ऐसा देश है जो राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के उद्देश्यों को बेहतरीन तरीके से हासिल करेगा।
दरअसल देखा जाए तो अब भारत दुनिया के देशों में महाशक्तियों के पिछलग्गू देशों में ना होकर नेतृत्व देने की स्थिति में आने लगा है। आज दुनिया के देश कोविड वैक्सीन के लिए भारत की ओर देख रहे हैं। भारत ने ना केवल छह महीनों में कोविड वैक्सीन सफलतापूर्वक विकसित कर ली अपितु दुनिया के देशों द्वारा इस वैक्सीन को मान्यता भी तेजी से मिली। भारत ने पड़ोसी देशों को करोड़ों की संख्या में जहां वैक्सीन निःशुल्क उपलब्ध कराने की पहल की है वहीं ब्राजील आदि देश भारतीय वैक्सीन की जल्दी से जल्दी सप्लाई की मांग कर रहे हैं। देश में भी वैक्सीन का दूसरा चरण आरंभ हो गया है। भारतीय वैक्सीन के साइड इफेक्ट ना के बराबर होने से दुनिया के देशों का इस पर भरोसा बढ़ा है। इससे पहले कोविड के विरुद्ध संघर्ष में अमेरिका सहित दुनिया के देशों में भारतीय दवा की बहुत अधिक मांग देखी गई और स्थिति यहां तक हो गई कि विदेशों में दवा नहीं भेजने के संकल्प के बावजूद देश को निर्णय परिवर्तित करना पड़ा। यह हमारी दवाओं की विश्वसनीयता का ही कारण है। दुनिया के देशों में कोविड वैक्सीन ही नहीं भारत द्वारा तैयार जीवन रक्षक वैक्सीनों का सबसे अधिक विश्वास रहा है यही कारण है कि टिटनेस से लेकर अधिकांश बीमारियों के टीकों की सप्लाई भारत कर रहा है।
आज दुनिया के देशों में चीन खलनायक बन कर उभरा है तो पाकिस्तान अलग-थलग होने के साथ ही याचक की दृष्टि में आ गया है। अमेरिका में जिस तरह से ट्रंप ने जाते-जाते लोकतंत्र की हत्या करने के प्रयास किए वह जगजाहिर है तो रूस भी अब पहले वाली स्थिति में नहीं रहा। इंग्लैण्ड अपनी समस्याओं से जूझ रहा है तो फ्रांस आए दिन आतंकवादी गतिविधियों से दो-चार हो रहा है। ऐसे में दुनिया के देशों की भारत के प्रति आशाभरी दृष्टि से देखना जायज भी हो जाता है और इसका सबसे बड़ा कारण दुनिया के देशों का भरोसा जीतना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2021 का वर्चुअल उद्घाटन करते हुए साफ कर दिया कि इस तरह के वैश्विक सम्मेलन वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए बहुत जरूरी हैं। नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ ही पृथ्वी के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा। भारत पेरिस संबंधी प्रतिबद्धताओं और लक्ष्यों को हासिल करने की राह पर है। हम 2030 तक 450 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता स्थापित करने की राह पर बढ़ रहे हैं। 2019 में भारत ने लगभग शतप्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल कर लिया है वहीं सालाना 80 लाख टन कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन कम किया है। यह शुभ संकेत हैं।
देखा जाए तो अब दुनिया के देशों का भारत के प्रति नजरिया बदला है। अब भारत सांप सपेरों का देश ना होकर दुनिया के देशों को नेतृत्व देने की स्थिति में आ गया है। जल्दी ही हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने जा रही है तो समग्र विकास का पहिया तेजी से घूमने लगा है। इज ऑफ डूइंग में हमने लंबी छलांग लगाई है। कोरोना के इस दौर में दुनिया के देश निवेश की दृष्टि से भारत की और रुख कर रहे हैं। आईटी के क्षेत्र में भारतीय युवाओं का लोहा माना जा रहा है। यही कारण है कि लाख प्रयासों के बावजूद भारतीय युवा आज अमेरिका की आईटी कंपनियों के लिए अनिवार्य जरूरत बन गए हैं। अंतरिक्ष में अपने उपग्रहों को स्थापित कराने में भारतीय सैटेलाइट यान की सहायता ली जा रही है। आज भारत मेडिकल पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है तो कोविड को छोड़ दिया जाए तो विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद भारत बनता जा रहा है। चीन जैसी महाशक्ति को चुनौती देने में भारत सक्षम हुआ है। यह चुनौती चाहे सीमा पर हो या अन्य क्षेत्रों में। चीनी एपों पर रोक लगाकर सीधे-सीधे चीन को चुनौती दी जा चुकी है। यह सब समग्र प्रयासों का परिणाम है।
दुनिया के देशों के विश्वास और भरोसे को बनाए रखने के लिए भारत को और अधिक सतर्कता और दूरदृष्टि से आगे बढ़ना होगा। देश की जिस तरह की छवि बनती जा रही है इस छवि का सकारात्मक उपयोग करते हुए भारतीय उत्पादों को, सेवा क्षेत्र को दुनिया के नक्शे पर आगे बढ़ाना है ताकि इस भरोसे का अधिक से अधिक लाभ लिया जा सके।
-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा