यूनुस सरकार के प्रत्यर्पण की मांग पर भारत का तगड़ा फैसला, शेख हसीना का पासपोर्ट रद्द होने के बाद भी वीजा के समय सीमा को बढ़ा दिया

By अभिनय आकाश | Jan 08, 2025

भारत ने बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना का वीजा बढ़ा दिया है, जो पिछले साल अगस्त से देश में रह रही हैं। यह कदम बांग्लादेश में अंतरिम सरकार की ओर से उसके प्रत्यर्पण की बढ़ती मांग की पृष्ठभूमि में उठाया गया है। हालांकि, सूत्रों ने छात्रों के हिंसक विरोध प्रदर्शन के बीच 5 अगस्त को ढाका से भाग गईं हसीना को शरण दिए जाने के दावों का खंडन किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत में शरण देने के लिए विशिष्ट कानून का अभाव है और इस बात पर जोर दिया कि उनके वीजा विस्तार को शरण देने की दिशा में एक कदम के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। एक सूत्र ने कहा कि यह पूरी तरह से उनके रहने की सुविधा के लिए एक तकनीकी विस्तार है। सूत्रों ने पुष्टि की है कि हसीना दिल्ली के एक सुरक्षित घर में कड़ी सुरक्षा के बीच रह रही हैं।

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नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने 23 दिसंबर को औपचारिक रूप से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की। ढाका में अधिकारियों ने दावा किया कि हसीना को 2024 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा और गायब होने की घटनाओं में उनकी कथित संलिप्तता से संबंधित आरोपों का सामना करना होगा, जिसमें 500 से अधिक लोग मारे गए थे।  बांग्लादेश के आव्रजन विभाग ने हसीना सहित 97 पासपोर्ट रद्द करने की घोषणा की। यूनुस के प्रवक्ता अबुल कलाम आज़ाद मजूमदार ने कहा कि यह 2024 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान जबरन गायब करने और हत्याओं के आरोपों से जुड़ा है। मजूमदार ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि जबरन गायब करने में शामिल होने के कारण 22 व्यक्तियों के पासपोर्ट रद्द कर दिए गए, जबकि शेख हसीना सहित 75 अन्य को जुलाई में हुई हत्याओं में फंसाया गया।

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भारत अब खुद को नाजुक स्थिति में पाता है। हालांकि शेख हसीना के लंबे समय तक रहने से द्विपक्षीय संबंधों के लिए तत्काल कोई खतरा नहीं है, लेकिन बांग्लादेश की प्रत्यर्पण मांग ने स्थिति को जटिल बना दिया है। प्रत्यर्पण अनुरोध ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार विपक्षी नेताओं के साथ अपने व्यवहार को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही है। आलोचकों ने तर्क दिया है कि हसीना का पासपोर्ट रद्द करना और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप अगले आम चुनावों से पहले सत्ता को मजबूत करने के लिए राजनीति से प्रेरित प्रयास थे।

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