By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 09, 2025
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को फैसला सुनाया कि हत्या के एक मामले में 25 साल जेल में बिता चुका और राष्ट्रपति के क्षमादान सहित अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर चुका व्यक्ति अपराध के समय किशोर था इसलिए उसे रिहा किया जाए।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि दोषी ओम प्रकाश उर्फ राजू पिछले 25 साल से जेल में बंद है, जबकि उसने सजा सुनाए जाने के समय निचली अदालत में अपने नाबालिग होने का दावा किया था, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हम केवल यह कहेंगे कि यह एक ऐसा मामला है, जिसमें अपीलकर्ता अदालतों द्वारा की गई गलती के कारण पीड़ित है। हमें बताया गया है कि जेल में उसका आचरण सामान्य है और उसके खिलाफ कोई प्रतिकूल रिपोर्ट नहीं है। उसने समाज में फिर से घुलने-मिलने का अवसर खो दिया। उसने जो समय बिना किसी गलती के गंवाया है, उसे कभी वापस नहीं लाया जा सकता।’’
उच्चतम न्यायालय ने याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को रिहा करने का आदेश दिया लेकिन साथ ही कहा कि उसकी दोषसिद्धि बरकरार रहेगी। दोषी को हत्या के लिए पहले मौत की सजा सुनाई गई थी और उच्चतम न्यायालय ने भी उसकी सजा बरकरार रखी थी। इसके बाद उसने राष्ट्रपति से क्षमादान की अपील की और आठ मई, 2012 को उसे उस समय आंशिक राहत मिली उसके मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया गया।