By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 18, 2024
नयी दिल्ली । भारत का हीरा क्षेत्र गंभीर संकट का सामना कर रहा है क्योंकि पिछले तीन वर्षों में आयात तथा निर्यात दोनों में भारी गिरावट आने से भुगतान में चूक, कारखाने बंद होने और बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने की स्थिति उत्पन्न हुई है। आर्थिक शोध संस्थान जीटीआरआई ने बुधवार को यह बात कही। आर्थिक शोध संस्थान ने बयान में कहा कि निर्यात आय में वृद्धि हुई है, लेकिन ऑर्डर में कमी तथा प्रयोगशाला में बनने वाले हीरों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अप्रसंस्कृत कच्चे हीरों का भंडार बढ़ रहा है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘ इससे भुगतान में चूक, कारखाने बंद होने और बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने की स्थिति उत्पन्न हो गई है। दुख की बात यह है कि गुजरात के हीरा उद्योग से जुड़े 60 से अधिक लोगों ने आत्महत्या की है, जो भारत के हीरा उद्योग पर पड़ रहे गंभीर वित्तीय तथा भावनात्मक दबाव को दर्शाता है।’’ उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के समाधान तथा क्षेत्र के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
आर्थिक शोध संस्थान के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में 18.5 अरब अमेरिकी डॉलर से 2023-024 में 14 अरब अमरीकी डॉलर तक कच्चे हीरे के आयात में 24.5 प्रतिशत की गिरावट कमजोर वैश्विक बाजारों और कम प्रसंस्करण ऑर्डर (ठेकों) को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष ने वैश्विक हीरा आपूर्ति श्रृंखला को भी प्रभावित किया है। रूस एक प्रमुख कच्चा हीरा उत्पादक है, उस पर प्रतिबंधों ने व्यापार को और जटिल बना दिया है तथा वैश्विक हीरा व्यापार को धीमा कर दिया है।
श्रीवास्तव ने कहा कि प्रयोगशाला में तैयार किए गए हीरों की ओर उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग प्राकृतिक हीरों की मांग को प्रभावित कर रही है। ऐसा माना जाता है कि प्रयोगशाला में बने हीरे अधिक किफायती तथा टिकाऊ होते हैं। जीटीआरआई ने यह भी कहा कि दुबई हीरे का उत्पादन नहीं करता है, फिर भी भारत के कच्चे हीरे के आयात में इसकी हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। दुबई...बोत्सवाना, अंगोला, दक्षिण अफ्रीका, रूस से कच्चे हीरे आयात करता है और इन्हें फिर भारत में निर्यात करता है। भारतीय हीरा उद्योग में 7,000 से अधिक कंपनियां शामिल हैं जो हीरे की कटाई, उन्हें तराशने और निर्यात जैसी विभिन्न गतिविधियों में शामिल हैं।