इन चार जगहों पर है भारत-चीन का विवाद, विस्तार से जानें

By अभिनय आकाश | Jun 17, 2020

एक तरफ जहां पूरा विश्व, पूरा देश, हर राज्य, हर जिला, हर तबका कोरोना के संकट से गुजर रहा है वहीं उसी बीच बार्डर पर भारतीय सेना की चीनी सैनिकों से भिड़त ने तनातनी का माहौल बना दिया है। दरअसल, लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प गई, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए। आइए समझते हैं आखिर भारत चीन सीमा विवाद है क्या और किन जगहों पर आमने-सामने हैं दोनों देशों के सैनिक।

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भारत चीन बॉर्डर की कुल लंबाई 3488 किमी है। ये सीमाएं जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती है। जम्मू-कश्मीर में 1597, अरुणाचल से 1126 किमी, सिक्किम से 200 किमी, उत्तराखंड से 345 किमी और हिमाचल प्रदेश से 200 किमी की सीमा जुड़ती है।

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पैंगोंग झील 

इस झील का पूरा नाम पैंगोंगे त्सो है जो 134 किलोमीटर लंबी है। यह झील हिमालय में करीब 14,000 फुट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित है। इस झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत में पड़ता है, जबकि 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में आता है। कहा जाता है कि पश्चिमी सेक्टर में चीन की तरफ से अतिक्रमण के एक तिहाई मामले इसी पैंगोंग त्सो झील के पास होते हैं। इसकी वजह ये है कि इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर सहमति नहीं है। ये झील चुशूल घाटी के रास्ते में आती है. चीन इस रास्ते का इस्तेमाल भारत-अधिकृत क्षेत्र में हमले के लिए कर सकता है। साल 1962 के युद्ध के दौरान यही वो जगह थी जहां से चीन ने अपना मुख्य आक्रमण शुरू किया था।

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गालवन घाटी

पश्चिमी हिमालय की गालवान नदी घाटी को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद है। गालवन घाटी विवादित क्षेत्र अक्साई चीन में आता है। गालवन घाटी लद्दाख़ और अक्साई चीन के बीच भारत-चीन सीमा के नज़दीक स्थित है। यहां पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) अक्साई चीन को भारत से अलग करती है।

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डोकलाम 

2017 में भी डोकलाम में चीनी सेना कई किलो मीटर तक भारत में प्रवेश कर गई थी। उस समय 73 दिनों तक तनाव रहने के बाद दोनों देश तनाव कम करने के लिए राजी हो गए थे। चीनी सेना ने विवादित क्षेत्र में निर्माण कार्य तो रोक दिया था, लेकिन वह डोकलाम पठार पर बनी रही थी। डोकलाम चीन और भूटान के बीच का विवाद है, लेकिन सिक्किम बॉर्डर के नज़दीक ही पड़ता है। ये इलाक़ा सामरिक रूप से भी अहम है।

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तवांग

अरुणाचल प्रदेश में स्थित तवांग भारत के लिए सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। चीन तवांग को तिब्बत का हिस्सा बताता है और कहता है कि तवांग और तिब्बत में काफ़ी ज़्यादा सांस्कृतिक समानता है। 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान चीन ने तवांग पर भी क़ब्ज़ा कर लिया था। ले‌किन अरुणाचल को लेकर भौगोलिक स्थिति पूरी तरह से भारत के पक्ष में जिसके कारण चीन युद्ध जीतकर भी तवांग से पीछे हट गया था।

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नाथूला  

नाथूला हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है जो भारत के सिक्किम राज्य और दक्षिण तिब्बत में चुम्बी घाटी को जोड़ता है। यह 14 हजार 200 फीट की ऊंचाई पर है। भारत और चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध के बाद इसे बंद कर दिया गया था। इसे वापस जूलाई 5, 2006 को व्यापार के लिए खोल दिया गया है।

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