By अभिनय आकाश | Apr 07, 2025
सनातनी परपंरा का सबसे बड़ा मेला भारत ही नहीं विश्व के सबसे बड़े धार्मिक, आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ की धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा का वो अदभुत संगम जिसमें न जाने कितनी दैवीय घटनाएं। कितने अदभुत प्रसंग उल्लेखनीय हैं। धार्मिक उत्सव होने के साथ साथ महाकुंभ 2025 के आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी लेकर आया। महाकुंभ 2025 सिर्फ एक आध्यात्मिक सभा नहीं है, यह एक विशाल आर्थिक इंजन बनकर उभरा है। महाकुंभ-2025 से उत्तर प्रदेश की आर्थिक स्थिति में क्या बदलाव आया, इसका आकलन शुरू हो गया है। प्रदेश सरकार ने सटिक आकलन के लिए प्रदेश ने 11 जिलों से महाकुंभ मेला के दौरान हुए आय-व्यय का विस्तृत ब्योरा मांगा है। 11 जिलों में प्रयागराज और इसके आसपास के साथ ही प्रदेश के वे जिले भी शामिल किए गए हैं, जहां महाकुम्भ में आए श्रद्धालु गए। नगर निगमों के साथ ही निकायों से भी जानकारी मांगी गई है। वहीं डन एंड डन एंड ब्रैडस्ट्रीट ने महाकुंभ को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें महाकुंभ के दौरान हर दिन की कमाई का चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है।
महाकुंभ से 2.80 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधियां हुई
ल ही में संपन्न हुए महाकुंभ 2025 ने देश की अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बढ़ावा दिया। 'डन एंड ब्रैडस्ट्रीट' की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित इस भव्य धार्मिक आयोजन ने कुल 2.8 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधि उत्पन्न की। रिपोर्ट के अनुसार, यूपी के प्रयागराज में लाखों लोगों के एकत्र होने से भारी आर्थिक गतिविधि हुई, जिसमें कुछ प्रत्यक्ष खर्च, कुछ अप्रत्यक्ष और कुछ प्रेरित खर्च भी शामिल हैं। कंपनी ने कहा कि उसने डेटा-संचालित दृष्टिकोण का उपयोग किया है, जिसमें अनुमान लगाने के लिए मालिकाना आर्थिक मॉडलिंग तकनीकों के साथ डेस्क अनुसंधान को एकीकृत करना शामिल है। पहले जारी किए गए कुछ अनुमानों ने कुल आर्थिक गतिविधि को 2 लाख करोड़ रुपये आंका था। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुंभ के 2025 संस्करण से 2.8 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक उत्पादन होने का अनुमान है।
यात्रा, होटल, भोजन आदि पर 90,000 करोड़ खर्च
प्रत्यक्ष खर्च का मतलब है कि जो भी लोग महाकुंभ में पहुंचे, उन्होंने यात्रा, होटल, भोजन, स्थानीय घूमने-फिरने और धार्मिक अनुष्ठानों पर खर्च किया। इस खर्च का अनुमान लगभग 90,000 करोड़ रुपये आंका गया है। अप्रत्यक्ष प्रभाव वह होता है, जब किसी क्षेत्र में अचानक बढ़ी हुई मांग के कारण वहां के व्यवसायों और आपूर्ति से जुड़े उद्योगों में भी तेजी आती है। उदाहरण के लिए तीर्थयात्रियों के कारण होटल बुकिंग बढ़ी तो इसमें इस्तेमाल में आने वाले सामान जैसे चादर, तौलिया, खाने-पीने की चीजें, सफाई सामग्री आदि की मांग भी बढ़ गई। इस प्रकार, महाकुंभ के कारण हुए अप्रत्यक्ष आर्थिक लाभ का अनुमान 80,000 करोड़ रुपये आंका गया है।
हजारों लोगों की आय में बढ़ोतरी हुई
प्रेरित प्रभाव का मतलब यह होता है कि जब किसी आयोजन से किसी व्यक्ति की आय बढ़ती है, तो वह अपनी अतिरिक्त कमाई को अपने घर, बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य सुविधाओं और अन्य जरूरतों पर खर्च करता है। महाकुंभ के कारण हजारों लोगों की आय में बढ़ोतरी हुई, जिससे उनके खर्च करने की क्षमता भी बढ़ी और इसका सकारात्मक असर स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। कंपनी ने कहा कि इससे 1.1 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई है।
परिवहन ने उपभोग व्यय में आधा योगदान दिया
खर्च वर्गीकरण के नजरिये से 2.3 लाख करोड़ रुपये को उपभोग व्यय के रूप में चिह्नित किया गया है, जबकि शेष 50,000 करोड़ रुपये बुनियादी ढांचे के निर्माण पर पूंजीगत व्यय है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अकेले परिवहन ने उपभोग व्यय में आधा योगदान दिया, और इसे 37,000 करोड़ रुपये आंका गया, जिसमें से अकेले रेलवे ने 17,700 करोड़ रुपये कमाए। रिपोर्ट के अनुसार, तीर्थयात्रियों ने हेलीकॉप्टर जॉयराइड, हॉट एयर बैलून राइड, एटीवी राइड और एडवेंचर स्पोर्ट्स, मनोरंजन पार्क में प्रवेश, योग सत्र और निर्देशित शहर के दौरे जैसी मनोरंजक गतिविधियों पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें बताया गया है कि खुदरा व्यापार में लगे लगभग दो लाख विक्रेताओं ने 7,000 करोड़ रुपये की गतिविधियां की, जबकि खाद्य सेवाओं ने 6,500 करोड़ रुपये कमाए।
नाव वाले ने करोड़ों कमाए
महाकुंभ में नावों के जरिए 30 करोड़ कमाने वाले नाविक का नाम पिंटू महरा है। एक आंकलन के मुताबिक पिंटू के पास कुल 130 नावे हैं. उनकी हर नाव से करीब 23 लाख रुपए की आय उन्हें हुई। कुल मिलाकर एक नाव से 50 से 52 हजार रुपए तक की महाकुंभ में रोजाना उन्हें आमदनी हुई। इस लिहाज से कुल उन्होंने कुल 30 करोड़ रुपए कमा लिए। शायद यही वजर रही कि सीएम योगी ने भरे सदन में इस नाव वाले की उपलब्धि की चर्चा की। वहीं अकेले चाय की दुकान चलाने वालों ने कुंभ अवधि के दौरान प्रतिदिन 30,000 रुपये तक की कमाई की, जबकि पूरी की दुकान चलाने वालों ने औसतन 1,500 रुपये प्रतिदिन की कमाई की।
रेलवे को भी हुआ मुनाफा
महाकुंभ के दौरान परिवहन क्षेत्र में भी जबरदस्त आर्थिक गतिविधि देखने को मिली. लोगों के आने-जाने के कारण 37,000 करोड़ रुपये सिर्फ परिवहन क्षेत्र से कमाए गए। इस दौरान रेलवे ने भी भारी मुनाफा कमाया और उसकी कुल कमाई 17,700 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। पर्यटन से जुड़े अन्य क्षेत्रों में भी तीर्थयात्रियों ने खूब पैसा खर्च किया। रिपोर्ट के अनुसार, श्रद्धालुओं ने 10,000 करोड़ रुपये विभिन्न मनोरंजन गतिविधियों पर खर्च किए। इनमें हेलिकॉप्टर से कुंभ क्षेत्र का दर्शन, हॉट एयर बैलून की सवारी, एडवेंचर स्पोर्ट्स, योग सेशन्स और गाइडेड टूर जैसी सेवाएं शामिल थीं।
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