Maharashtra By-election में कांग्रेस ने भाजपा के साथ कर दिया खेल, जो 27 साल से नहीं हुआ, वह अब हो गया

By अंकित सिंह | Mar 02, 2023

नागालैंड, त्रिपुरा और मेघालय में हुए विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस को सफलता हाथ नहीं लगी है। लेकिन पांच राज्यों में हुए उपचुनाव के नतीजों से कांग्रेस के हौसले बुलंद होते दिखाई दे रहे हैं। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में कांग्रेस ने जीत हासिल करने में कामयाबी पाई है। पश्चिम बंगाल में जहां विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी, वहीं उपचुनाव में कांग्रेस को सफलता हाथ लग गई है। जबकि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा को बड़ा झटका लगा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस ने भाजपा के साथ बड़ा खेल कर दिया है। पिछले 27 सालों से जो सीट भाजपा के कब्जे में थी, उसे कांग्रेस ने अब छीन लिया है। 

 

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दरअसल 5 राज्यों की 6 सीटों पर उपचुनाव हुए थे जिसमें से 3 सीटों पर कांग्रेस जीत हासिल करने में कामयाब रही है। इसी कड़ी में महाराष्ट्र के कस्बा पेठ सीट पर उपचुनाव हुए। यहां भाजपा को 27 सालों के बाद हार मिली है। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा के हेमंत रसाने और कांग्रेस के रविंद्र धंगेकर के बीच था। रविंद्र धंगेकर ने इस सीट पर जीत हासिल की है। 1995 के बाद यहां भाजपा की पहली हार हुई है। इस नतीजे से कांग्रेस के साथ-साथ महा विकास आघाडी के हौसले बुलंद हो गए हैं। आदित्य ठाकरे ने तो इसे महा विकास आघाडी के जीत बता दी है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से शिवसेना को तोड़ी गई उसे महाराष्ट्र की जनता ने देखा है। यही कारण है कि जनता ने इसका जवाब दिया है। 

 

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हालांकि, महाराष्ट्र की चिंचवाड़ विधानसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार ने जीत हासिल की है। यहां एनसीपी से उनका कांटे का मुकाबला था। हालांकि कस्बा पेठ सीट हारना भाजपा के लिए बड़ा झटका है। कांग्रेस ने कुछ राज्यों के विधानसभा उप चुनावों में मिली जीत को उत्साहजनक करार देते हुए बृहस्पतिवार कहा कि पूर्वोत्तर के तीन प्रदेशों के विधानसभा चुनाव के नतीजे निराशाजनक रहे हैं जिसके कारणों पर वह विचार करेगी। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि कांग्रेस त्रिपुरा में वाम दलों के साथ वाले गठबंधन को बहुमत मिलने की उम्मीद कर रही थी और मेघालय में भविष्य को देखते हुए टिकट दिए गए थे। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ पार्टियां सोच रही थीं कि कांग्रेस के लोगों को तोड़कर मजबूत बन जाएंगी, लेकिन चुनाव के नतीजों से ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

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