By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 01, 2022
कर्ज समाधान प्रक्रिया के नियामक आईबीबीआई ने इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए दिवाला पेशेवर इकाइयों (आईपीई) को समाधान पेशेवर के तौर पर काम करने की मंजूरी दे दी है। अभी तक सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर ही किसी पेशेवर को कर्ज समाधान पेशेवर के तौर पर पंजीकृत होने की मंजूरी मिली हुई थी। ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के तहत किसी तनावग्रस्त कंपनी के खिलाफ समाधान प्रक्रिया चलाने का दायित्व इस समाधान पेशेवर को ही सौंपा जाता है।
भारतीय ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला बोर्ड (आईबीबीआई) ने शुक्रवार को एक विज्ञप्ति में कहा, एक समाधान पेशेवर के तौर पर काम करने पर लगी सीमाओं पर गौर करने के बाद बोर्ड ने यह तय किया है कि इस काम में बहु-अनुशासनात्मक विशेषज्ञता एवं समन्वित प्रयासों की जरूरत को देखते हुए इस पेशे को संस्थागत स्वरूप दिया जाए। इस विज्ञप्ति के मुताबिक, बोर्ड की तरफ से मान्यता-प्राप्त एक आईपीई समाधान पेशेवर के तौर पर पंजीकरण करा सकता है। इसके लिए उसे दो लाख रुपये के शुल्क के साथ आवेदन देना होगा।
कर्ज चुका पाने में नाकाम रहने वाली कंपनियों के दिवाला प्रक्रिया में जाने के बाद सभी गतिविधियों का नियमन आईबीबीआई ही करता है। इस कानून को वर्ष 2016 में लागू किए जाने के बाद आईबीबीआई का गठन किया गया था। आईबीबीआई के मुताबिक, इस कानून ने समाधान प्रणाली में एक मजबूत पारिस्थितिकी का निर्माण किया है। इस कानून के आने के बाद जून 2022 तक 1,934 कर्जदार कंपनियों को मुश्किल स्थिति से निकालने के प्रयास किए गए हैं।