By अंकित सिंह | Feb 19, 2024
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वरिष्ठ कांग्रेस नेता और गांधी नेहरू परिवार के बेहद करीबी कमलनाथ इन दिनों सुर्खियों में हैं। दावा किया जा रहा है कि कमलनाथ अपने बेटे और छिंदवाड़ा से सांसद नकुलनाथ के साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इतना ही नहीं, खबर तो यह भी है कि कमलनाथ के साथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के कई विधायक और बड़े नेता भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने से भगवा पार्टी को क्या फायदा होगा? हम यह भी जानेंगे की कमलनाथ कांग्रेस से क्यों नाराज है?
भाजपा को कमलनाथ के शामिल होने के बाद चुनाव से पहले मनोवैज्ञानिक लाभ मिल सकता है। भाजपा का मानना है कि एक, कि महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण के ठीक बाद पार्टी में उनके प्रवेश से यह संदेश जाएगा कि कांग्रेस इतनी बुरी तरह ढह गई है कि वह अपने पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी बरकरार नहीं रख सकती है। यह भाजपा को अपने प्रतिद्वंद्वी से कहीं आगे, देश की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में भी रेखांकित करेगा। भाजपा के सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस, जो पहले से ही अपने राजनीतिक प्रभाव में गिरावट के कारण नकदी की कमी से जूझ रही है, को भी कमलनाथ की धन जुटाने की क्षमताओं का नुकसान महसूस होगा। भाजपा के एक राज्य नेता ने कहा कि उम्मीद है कि कमलनाथ अपने क्षेत्र छिंदवाड़ा के वफादारों के साथ-साथ जबलपुर और कुछ अन्य स्थानों से भी जुड़ेंगे। इससे यह धारणा मजबूत होगी कि दूसरे राज्य में कांग्रेस का पतन हो रहा है, जहां वह मजबूत रही है।
कमलनाथ के भाजपा में आने से कांग्रेस को आर्थिक नुकसान होगा जिसकी वजह से इलेक्शन कैंपेन में उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा कांग्रेस जिन राज्यों में मजबूत है वहां भी टूट की संभावनाएं बढ़ेगी जिससे भाजपा को विस्तार का एक बड़ा मौका मिलेगा। मध्य प्रदेश के लिहाज से भाजपा कमलनाथ को साधने के बाद वहां कांग्रेस के पावर सेंटर को खत्म करने की कोशिश करेगी। मध्य प्रदेश की राजनीति में कमलनाथ काफी लंबे समय से कांग्रेस के लिए पावर सेंटर रहे हैं। इसके अलावा छिंदवाड़ा और आसपास के क्षेत्र जो कांग्रेस के लिए गढ़ माने जाते हैं वहां भाजपा को तो फायदा होगा ही साथ ही साथ मध्य प्रदेश की सीमा से लगे महाराष्ट्र के वह क्षेत्र जहां कांग्रेस अच्छी स्थिति में है, वहां भी भाजपा फायदा उठा सकती है।
कांग्रेस आलाकमान द्वारा मध्य प्रदेश चुनाव में पार्टी की हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद से ही कमलनाथ भाजपा नेताओं के संपर्क में थे। उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया और राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेता भी नहीं बनाया गया। राज्यसभा उम्मीदवारी के लिए अशोक सिंह के नाम की घोषणा से भी कमलनाथ नाराज थे। कमलनाथ को राज्यसभा की चाहत थी। कमलनाथ की नाराजगी की एक और वजह बताई जा रही है। कमलनाथ अब 78 साल के हो गए हैं। वह राजनीति में कितने वर्षों तक सक्रिय रहेंगे, इसको लेकर भी सवाल है। फिलहाल भाजपा कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा को लेकर काफी एग्रेसिव है। छिंदवाड़ा से उनके बेटे नकुलनाथ सांसद हैं। छिंदवाड़ा में कमलनाथ का घेराव करने के लिए कैलाश विजयवर्गीय जैसे बड़े नेता को भाजपा ने प्रभार दे दिया है। 2023 के विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा के सात सीटों पर कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस को जीत तो मिल गई लेकिन अंतर बहुत कम हो गया। ऐसे में कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ के भविष्य को लेकर चिंतित है। कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को देखते हुए वह अपने बेटे को भाजपा में सेट करने की कोशिश में हैं। इससे उनका गढ़ छिंदवाड़ा का किला भी बच जाएगा और नकुलनाथ के लिए आगे की राजनीति आसान भी रह सकती हैं।
इस चर्चा के बीच कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ भाजपा में जा सकते हैं, उनके करीबी सूत्रों ने बताया है कि वह अब इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि क्या किया जाए। नाथ के करीबी सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस उन पर भाजपा में नहीं जाने के लिए दबाव डाल रही थी, कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि भाजपा भी नाथ को शामिल करने को लेकर दुविधा में है, क्योंकि उनके खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगे के आरोप हैं। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि नाथ पार्टी छोड़ने के इच्छुक हैं, लेकिन वे केवल अपने बेटे - लोकसभा सांसद नकुलनाथ - को भाजपा में भेज सकते हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी पर ने कहा कि कमलनाथ के बीजेपी में जाने की अफवाहें इस बात का उदाहरण है कि मीडिया का दुरुपयोग कैसे किया जा सकता है। यह कमल नाथ के खिलाफ रची गई साजिश थी। उन्होंने दावा किया कि मैंने उनसे बात की तो उन्होंने कहा कि ये सब बातें सिर्फ अफवाहें हैं और वो कांग्रेस के आदमी हैं और कांग्रेस के आदमी रहेंगे...आखिरी सांस तक वो कांग्रेस की विचारधारा के साथ रहेंगे।