By अंकित सिंह | Jun 24, 2024
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह राहुल गांधी की ओर से वायनाड संसदीय छोड़ने, पेपर लीक के बढ़ते मामलों और बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर चल रहे नामों के मुद्दों पर चर्चा की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि जहां तक प्रियंका गांधी वाद्रा की बात है तो इसमें कोई दो राय नहीं कि उनके चुनावी राजनीति में पदार्पण के साथ ही भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि रायबरेली से राहुल गांधी के परिवार के लोग चुनाव जीतते रहे हैं। इसे गांधी परिवार का गढ़ भी कहा जाता है। इसलिए राहुल गांधी ने रायबरेली से अपनी संसदीय बरकरार रखी।
इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा कि सोनिया गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान रायबरेली में कहा था कि मैं आपको अपना बेटा सौंप रही हूं। ऐसे में अगर राहुल गांधी रायबरेली से पीछे हटते तो यह जनता के लिए धोखा होता। यही कारण है कि कांग्रेस रणनीति के तहत रायबरेली सीट राहुल गांधी के साथ बनाए रखना चाहते हैं। इसका एक और कारण यह भी है कि प्रधानमंत्री पद का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही जाता है। वहीं दक्षिण में प्रियंका गांधी को भेजने को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि केरल में कांग्रेस की नजर विधानसभा चुनाव पर है। प्रियंका गांधी अब सक्रिय राजनीति में आ रही हैं। यह कांग्रेस और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के लिए अच्छी खबर है।
दुबे ने कहा कि अब प्रियंका गांधी भी संसद में होंगे वह सीधे तौर पर प्रधानमंत्री को चुनौती देती रही है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि संसद में वह किस तरीके से प्रधानमंत्री का सामना करती हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नीति से साफ तौर पर लगता है कि दक्षिण बहन संभालेंगी उत्तर भाई संभालेंगे।
जेपी नड्डा को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने के बाद भाजपा के नए अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं तेज हैं। हमने भाजपा के नए अध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष को लेकर भी चर्चा की। इसी को लेकर नीरज कुमार दुबे ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि जेपी नड्डा का कार्यकाल बढ़ने जा रहा है। लेकिन भाजपा की ओर से इस पर क्या किया जाता है, इस पर कहना फिलहाल मुश्किल है। नीरज दुबे ने कहा कि असमंजस की स्थिति में रहने की जगह किसी नेता को पूर्ण रूप से कमान सौंप देनी चाहिए।
नीरज दुबे ने कहा कि जो चुनाव के परिणाम आए हैं उसके बाद कहीं ना कहीं अध्यक्ष पद को लेकर पार्टी के भीतर नए सीरे में मंथन चल रहा है। जेपी नड्डा का कार्यकाल उतना सफल नहीं रहा है। पहले ही दो बार उनका कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है। ऐसे में उनके कार्यकाल को बढ़ाए जाने की संभावना बेहद कम दिखाई दे रही है। अमित शाह और राजनाथ सिंह की तुलना में जेपी नड्डा का कार्यकाल बहुत बढ़िया नहीं रहा।