By अभिनय आकाश | Dec 27, 2024
आज बात उसकी करेंगे जिसकी बात पूरा देश कर रहा है। बात महाकुंभ की, दुनिया का सबसे बड़ा मेला जो 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू होगा। ये 26 फरवरी तक चलेगा। इन 45 दिनों में अंदाजन 40 करोड़ लोग महाकुंभ में हिस्सा लेंगे। आंकड़ों के हिसाब से औसतन हर तीसरा या चौथा भारतीय या हर दूसरा या तीसरा हिंदू महाकुंभ मेले में आएगा। ऐसे में आज हमने सोचा कि क्यों न बात ऐसे शख्स से की जाए जिसने जमीनी नेता से प्रयागराज शहर के प्रथम नागरिक तक का सफर तय किया। प्रयागराज महापौर गणेश केसरवानी के साथ हमने विस्तृत बातचीत की है। ऐसे में आइए जानते हैं कि महाकुंभों से 2025 का महाकुंभ कैसे और किन-किन मायनों में अलग होने जा रहा है?
गूगल का सहारा लिया गया है। सारी सुविधाएं डिजिटलाइज्ड की गई हैं। जिससे देश और दुनियाभर के जो आने वाले लोग हैं उनको अपने घर से चलने से ही कुंभ के बारे में सारी जानकारी प्राप्त हो जाए। कुंभ का सारा रोडमैप उनकी जानकारी में हो जाए। इस नाते प्रधानमंत्री के नेतृत्व और मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में मेला प्रशासन, नगर निगम प्रयागराज पूरी तन्मयता और शिद्दत के साथ काम कर रही है। ये डिजिटल कुंभ पूरे विश्व को आकर्षित कर रहा है। इस कुंभ में और भी बहुत सारे अलग काम हुए हैं। अभी तक अर्ध कुंभ में अस्थायी और बुनियादी काम होते थे। लेकिन इस बार शहर के सार्वांगिण विकास के लिए स्थायी काम भी हुए हैं।
प्रयाग के पौराणिक महत्व के स्थलों को कॉरिडोर बनाकर विकसित करने का काम किया गया। उनके जीवोणोद्धार करने का काम किया गया। अक्षय वट जहां मान्यता है कि भगवान विष्णु बाल्य रूप में अक्षय वट के प्रत्येक पत्ते पर विराजित हैं। इसलिए कहां जाता है कि अक्षय वट का कभी क्षय नहीं होता है। आज ये जनता के लिए पूरी तरह से समर्पित है और बहुत ही सुंदर कॉरिडोर के माध्यम से अक्षय वट कॉरिडोर को बनाया गया है। इसके साथ ही साथ मनकामेश्वर महादेव मंदिर कॉरिडोर, हनुमान जी मंदिर उसका भी स्थायी कॉरिडोर बनाया गया है। 11 पक्का नए घाट। पहली बार प्रयागराज के अंदर गंगा में यात्रियों की सुविधाओं के लिए पक्के घाट बनाए गए। साथ ही साथ गंगा पथ बनाया गया है। 11 किलोमीटर का गंगा पथ एक छोर से दूसरे छोर तक जितने भी हमारे तीर्थ यात्री आने वाले हैं। उनके लिए बहुत बड़ा उचित लाभकारी मार्ग बनेगा।
तीरथ पति आ रहे हैं उनका भी आयोजन शिवालय पार्क के माध्यम से किया है। 12 ज्योर्तिलिंग चार धाम। ये यज्ञ की भूमि है। ब्रह्मा जी ने सृष्टि का पहला यज्ञ प्रयाग में किया। प्रयाग के यज्ञ का विधि विधान महत्व व्यक्ति के जीवन और समाज के जीवन में को प्रदर्शित करने के लिए ब्रह्मा जी की विशाल प्रतिमा और सारा यज्ञ का विज्ञान उसमें प्रदर्शित करते हुए बनाया गया है। महर्षि वाल्मिकी जी ने रामायण भी यही पर लिखी है। पूरी दुनिया इस बात को जान सके और प्रयाग के गौरव से जुड़ सके। इसलिए महर्षि वाल्मिकी जी की एक भव्य प्रतिमा, किन परिस्थितियों में रामायण भव्य काव्य उनके मुख से फूटा उन सारी परिस्थितियों की चर्ता करते हुए प्रतिमा लग रही है। इस तरह से प्रयागराज के जितने भी पौराणिक महत्व के केंद्र थे, हमारी प्राचीन मंदिरें थी। उन सब का स्थायी रूप से जीणोर्धार किया गया। तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं के लिए 35 पीपे का पुल बनाया जा रहा है।