By अभिनय आकाश | Mar 29, 2023
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय राजधानी में साइबर सुरक्षा के बुनियादी ढांचे और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के कामकाज की समीक्षा की और साइबर अपराध के खतरे को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने की अपील की। अमित शाह ने कहा कि शीर्ष 50 साइबर हमलों की कार्यप्रणाली पर विश्लेषणात्मक रिपोर्ट तैयार की गई है। समीक्षा के बाद मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय व्यापक, एकीकृत प्रयास कर रहा है। साइबर सुरक्षा और साइबर अपराध के विभिन्न पहलुओं के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करना। शाह ने कहा कि I4C हर महीने के पहले बुधवार को साइबर जागरुकता दिवस का आयोजन कर रहा है और I4C इस पहल में सक्रिय और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और साइबर स्वच्छता को बढ़ावा देने में मदद करने के लिए देश के सभी राज्यों में पहुंच रहा है।
गृह मंत्री ने मीडिया से साइबर अपराध के खतरे को रोकने के लिए की गई सभी पहलों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ हाथ मिलाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर अब तक 20 लाख से अधिक साइबर अपराध की शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिसके आधार पर 40,000 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं। उन्होंने साइबर सुरक्षा बुनियादी ढांचे और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) के कामकाज की समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि इसके अलावा, जनवरी 2020 में शुरू होने के बाद से इस पोर्टल को 13 करोड़ से अधिक बार देखा गया है।
मंत्री ने आगे कहा कि राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जांच) के माध्यम से अब तक राज्यों को 5,000 से अधिक फोरेंसिक सेवाएं प्रदान की गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 30,000 पुलिस कर्मियों, न्यायिक अधिकारियों और अभियोजकों को साइबर अपराध जागरूकता, जांच और फोरेंसिक पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि तत्काल सूचना देने की प्रणाली और कार्यबल की कार्रवाई के कारण साइबर अपराधियों द्वारा 1.33 लाख लोगों से ठगी गई 235 करोड़ रुपये की राशि बरामद कर ली गई है। गृहमंत्री ने कहा कि यौन अपराधियों के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार किया गया है और उसकी मदद से कानूनी एजेंसियां बलात्कार, छेड़खानी, पीछा करने और बच्चों के साथ अपराध आदि के आरोपियों/दोषियों का पता लगा सकते हैं। उन्होंने कहा, इसमें (इस डेटा बेस में) अपराधियों का नाम, पता, फोटोग्राफ और फिंगरप्रिंट आदि उपलब्ध है। इसकी मदद से यौन अपराधियों की पहचान करके भविष्य में अपराध को रोका जा सकता है।