By अनुराग गुप्ता | Jan 22, 2022
जलंधर। शहीदों की धरती कहे जाने वाले चमकौर साहिब से मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने एक बार फिर अपनी ताल ठोकी है। ऐसे में इस सीट पर सभी की नजर रहने वाली है। इतिहास में झांके तो यही पता चलता है कि पंजाब की सियासत कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के इर्द-गिर्द रही है और चमकौर साहिब सीट पर भी साल 2017 से पहले कांग्रेस और शिअद के बीच मुकाबला देखने को मिलता था। इसके बावजूद पिछले तीन बार से चरणजीत सिंह चन्नी जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे हैं।
आपको बता दें कि चमकौर साहिब पंजाब के रूपनगर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह चमकौर के युद्ध (प्रथम और द्वितीय) के लिए प्रसिद्ध है, जो गुरु गोविंद सिंह और मुगल साम्राज्य के बीच लड़ा गया था।
कैसा है चमकौर साहिब का इतिहास ?
इस सीट से कांग्रेस ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं आम आदमी पार्टी (आप) ने डॉ. चरणजीत सिंह को जबकि शिअद ने हरमोहन संधू को अपना उम्मीदवार बनाया है। पंजाब की 117 विधानसभा सीटों के लिए 20 फरवरी को मतदान होना है और 10 मार्च को उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा और तय होगा कि सत्ता कांग्रेस के पास रहेगी या फिर किसी और के पास जाएगी।
चरणजीत सिंह चन्नी ने साल 2007 में पहली बार चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस से टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया था। उस वक्त उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीत भी दर्ज की थी। इसके बाद वो शिअद में चले गए और फिर कुछ वक्त बाद उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इसके बाद साल 2012 और 2017 के चुनाव में जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे। इतना ही नहीं 2015 में चरणजीत सिंह चन्नी को विपक्ष के नेता की भूमिका में रहे हैं।
आम आदमी पार्टी ने बनाया था त्रिकोणीय मुकाबला
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने चमकौर साहिब सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बनाया था। 2017 से पहले इस सीट पर कांग्रेस और शिअद के बीच टक्कर देखने को मिलती थी लेकिन आम आदमी उम्मीदवार ने पिछले चुनावों में कड़ी टक्कर दी लेकिन वो हार गया। उस वक्त आम आदमी पार्टी उम्मीदवार को दूसरा और शिअद उम्मीदवार को तीसरा स्थान मिला था। इस सीट पर 1985 और 1992 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। जबकि 1997 और 2002 के चुनाव में शिअद का कब्जा रहा।
चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं। पंजाब कांग्रेस में लंबे समय तक चली अंर्तकलह के बाद उन्हें 20 सितंबर 2021 को प्रदेश की कमान सौंपी गई। वे पंजाब के 27वें मुख्यमंत्री बने। इसके साथ ही वह राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री भी हैं। साल 2017 में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने अमरिंदर सिंह को सत्ता सौंपी थी। लेकिन अपमानित महसूस करने के बाद अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद त्याग दिया और कांग्रेस को अलविदा कहते हुए अपनी खुद की पार्टी बना ली।
क्या चुनाव हार जाएंगे चन्नी ?
हाल ही में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कुछ सर्वेक्षणों का हवाला देते हुए दावा किया था कि अगले महीने होने वाले चुनाव में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को उनके निर्वाचन क्षेत्र चमकौर साहिब में हार का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने ट्वीट किया था कि हमारा सर्वेक्षण दिखा रहा है कि चन्नी जी चमकौर साहिब से हार रहे हैं। टीवी पर ईडी के अफ़सरों को नोटों की इतनी मोटी-मोटी गड्डियां गिनते देख लोग हैरान हैं।