By अंकित सिंह | Jul 29, 2024
सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या कम करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पहली विशेष लोक अदालत शुरू की है। लोक अदालत 29 जुलाई से 3 अगस्त तक लगेगी। लोक अदालत हर दिन दोपहर 2 बजे के बाद आयोजित की जाएगी और मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश, एक वरिष्ठ वकील और एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड होंगे। इस मौके पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस पूरे हफ्ते सुप्रीम कोर्ट की 7 बेंचों द्वारा लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। आज हमारा अनुभव यह था कि यह एक ज़बरदस्त सफलता थी। लोक अदालत जिसमें बार, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का सहयोग है और उच्च न्यायालयों, राज्य सरकारों और बीमा कंपनियों द्वारा व्यापक जमीनी काम किया गया है।
सीजेआई ने आगे कहा कि विचार यह है कि छोटे-छोटे मामले निपटाए जाएं। लोगों को पता ही नहीं चलता कि सुप्रीम कोर्ट में छोटे-छोटे मामले कैसे आते हैं। इसलिए हमने सेवा विवाद, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण मामले, मोटर दुर्घटना दावा मामले, चेक अनादरण मामले से जुड़े मामलों को चुना। उन्होंने आगे कहा कि न्यायाधीशों के साथ लोक अदालत पैनल के हिस्से के रूप में बार सदस्यों की उपस्थिति ने पूरे समाज में सही संदेश भेजा है कि हम न्याय करने के अपने प्रयासों में एकजुट हैं, खासकर इन छोटे मामलों में शामिल नागरिकों को। मुझे उम्मीद है कि यह लोक अदालत अब भविष्य में उच्चतम न्यायालय में संस्थागत हो जायेगी।
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मुझे एक मामला याद है जिसमें पति ने तलाक की कार्यवाही पटियाला हाउस कोर्ट में दायर की थी और उसकी पत्नी ने भरण-पोषण की कार्यवाही दायर की थी और बच्चों की कस्टडी के लिए याचिका दायर की थी। प्री-लोक अदालत की बैठक में दोनों एक साथ आए और दोनों ने फैसला किया कि वे साथ रहेंगे। इसलिए जब वे दोनों लोक अदालत के सामने आए, तो मैंने उनसे पूछा, उन्होंने कहा कि उन्होंने खुशी-खुशी साथ रहने का फैसला किया है। पत्नी ने कहा कि मुझे भरण-पोषण नहीं चाहिए क्योंकि हम बहुत खुशी से साथ रह रहे हैं। सीजेआई ने कहा, ‘‘अपने सभी सहयोगियों और उच्चतम न्यायालय के कर्मचारियों की ओर से, मैं उन सभी नागरिकों या वकीलों से अपील करूंगा, जिनके मुकदमे उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं कि वे अपने मुकदमों का तेजी से निपटारा करने की कवायद के तहत इस अवसर का फायदा उठाएं।
वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि मुझे लगता है कि यह एक ऐतिहासिक दिन है। इस न्यायालय के इतिहास में पहले कभी नहीं, न्यायालय छोटे-छोटे मामलों के लिए उन लोगों तक पहुंचा है जो वर्षों तक लंबित रहते हैं। यह न्यायालय की मानसिकता को दर्शाता है कि वे कैसे सबसे गरीब लोगों तक पहुंचना चाहते हैं जो वर्षों तक इस मुकदमे से निपटने में सक्षम नहीं हैं, जिला-स्तरीय कानूनी सेवा प्राधिकरण तक पहुंचें, प्रयास करें और उन्हें हल करें, और फिर उन मामलों के अंतिम समाधान के लिए इसे यहां भेजें। मुझे इस प्रयास को आगे बढ़ाने के लिए मुख्य न्यायाधीश और पूरे सुप्रीम कोर्ट को बधाई देनी चाहिए।