By अनुराग गुप्ता | Feb 22, 2022
बेंगलुरू। कर्नाटक हाई कोर्ट ने प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कल यानी 23 फरवरी के लिए स्थगित कर दी है। हाई कोर्ट में मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध केवल कक्षाओं में और पढ़ाई के समय के लिए है। परिसर में कोई प्रतिबंध नहीं है।
राज्य सरकार ने बताया कि संस्थागत अनुशासन के अधीन उचित प्रतिबंधों के साथ भारत में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है और इस आरोप को खारिज कर दिया कि हेडस्कार्फ़ पहनने से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन था, जो हर तरह के भेदभाव को रोकता है।
राज्य सरकार के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नावडगी ने याचिकाकर्ता के तर्क पर जवाब देते हुए कहा कि हेडस्कार्फ़ पहनने का अधिकार 19(1)(ए) की श्रेणी में आता है न कि अनुच्छेद 25 के अंतर्गत। अगर कोई हिजाब पहनना चाहता है, तो संस्थागत अनुशासन के अधीन कोई प्रतिबंध नहीं है। अनुच्छेद 19(1) के तहत दावा किए गए अधिकार (ए) अनुच्छेद 19 (2) से संबंधित है जहां सरकार संस्थागत प्रतिबंध के अधीन एक उचित प्रतिबंध लगाती है।
इस मामले में प्रतिवादियों, शिक्षकों के पक्षकार वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकटरमणि ने कहा कि सभी को अपने धर्म का पालन करने का समान अधिकार है। एक शिक्षक के रूप में मैं कक्षा में एक स्वतंत्र दिमाग रखना पसंद करूंगा।
इस हफ्ते सुनवाई खत्म करने के पक्ष में कोर्ट
कर्नाटक होई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह हिजाब से संबंधित मामले का इसी हफ्ते निस्तारण करना चाहता है। इसके साथ ही कोर्ट ने इससे जुड़े सभी पक्षों से सहयोग देने की अपील भी की। कोर्ट की कार्यवाही शुरू होते ही याचिकाकर्ता लड़कियों की ओर से पेश एक वकील ने हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ से उन मुस्लिम लड़कियों को कुछ छूट देने का अनुरोध किया, जो हिजाब पहनकर स्कूलों और कॉलेजों में उपस्थित होना चाहती हैं।
मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति जे एम खाजी और न्यायमूर्ति कृष्णा एम दीक्षित की पूर्ण पीठ कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली लड़कियों की याचिकाओं पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम इस मामले को इसी सप्ताह खत्म करना चाहते हैं।