Yes Milord: आर्टिकल 370 पर सुप्रीम सुनवाई, प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद, कोर्ट में इस हफ्ते क्या कुछ हुआ

By अभिनय आकाश | Sep 01, 2023

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाला रहा है। आरजेडी के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। बिन शादी पैदा हुए बच्चों को भी अब माता पिता की संपत्ति में हक मिलेगा। बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी के जुर्माना जमा करने पर सवाल उठाया। इस सप्ताह यानी 28 अगस्त से 01 सितंबर 2023 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे। 

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आर्टिकल 370 पर सुनवाई

भारत के सर्वोच्च न्यायालय की एक संविधान पीठ संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। पीठ में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल हैं। सुनवाई के दौरान द्विवेदी ने कहा कि हम किस संप्रभुता की बात कर रहे हैं? महाराजा हरि सिंह तब विलय के लिए सहमत हुए जब वे अपने क्षेत्र की सुरक्षा नहीं कर सके। उनका जहाज डूब रहा था। द्विवेदी ने प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का भी जिक्र किया। दलील दी कि नेहरू जी ने स्वयं कहा था कि संविधान सभा बनाने का विचार भारत सरकार से आया था। बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले को चुनौती देने वाली 20 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं।  

प्रभुनाथ सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने दी उम्रकैद की सजा

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 1995 के दोहरे हत्याकांड मामले में पूर्व सांसद और राजद नेता प्रभुनाथ सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह मामला मार्च 1995 में बिहार के सारण जिले के छपरा में विधानसभा चुनाव के मतदान के दिन दो लोगों की हत्या से संबंधित है। शीर्ष अदालत ने सिंह और बिहार सरकार को मामले में पीड़ितों को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया। इसमें प्रत्येक मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये और घायल हुए लोगों को 5 लाख रुपये देने को कहा गया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने सिंह को 1995 में राजेंद्र राय और दरोगा राय की हत्या का दोषी ठहराया था और उन्हें इस मामले में दोषी ठहराया था। महाराजगंज के पूर्व सांसद को पहले निचली अदालत और पटना उच्च न्यायालय ने मामले में बरी कर दिया था। इस बीच, सिंह पहले से ही अशोक सिंह नामक व्यक्ति की हत्या के मामले में हज़ारीबाग जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे, जिन्होंने 1995 के विधानसभा चुनाव में प्रभुनाथ को हराया था।

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अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को भी माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि शून्य या अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने के हकदार हैं। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि यह फैसला केवल हिंदू मिताक्षरा कानून द्वारा शासित हिंदू संयुक्त परिवार की संपत्तियों पर लागू है। यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने रेवनासिद्दप्पा बनाम मल्लिकार्जुन (2011) मामले में दो-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले के संदर्भ में दिया था, जिसमें कहा गया था कि शून्य/अस्थिर विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने माता-पिता की संपत्ति चाहे स्व-अर्जित हो या पैतृक को प्राप्त करने के लिए हकदार हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने दोषी के जुर्माना जमा करने पर उठाया सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में दोषी ठहराये गये लोगों में से एक के ऐसे समय जुर्माना जमा करने पर बृहस्पतिवार को सवाल उठाया, जब सजा माफी को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। दोषी रमेश रूपाभाई चंदना की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना एवं न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ को बताया कि दोषियों ने मुंबई में निचली अदालत का रुख किया है और उन पर लगाया गया जुर्माना जमा कर दिया है। 

 मणिपुर की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

सुप्रीम कोर्ट ने आज भारत सरकार और मणिपुर राज्य सरकार को मणिपुर हिंसा से प्रभावित लोगों को भोजन, दवाएँ और अन्य आवश्यक वस्तुओं जैसी बुनियादी आपूर्ति का वितरण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने लोगों तक राशन पहुंचने से रोकने वाली नाकाबंदी से निपटने का भी निर्देश दिया और सरकार से ऐसा करने के लिए सभी विकल्प तलाशने का आग्रह किया, जिसमें लोगों के लिए हवा से राशन पहुंचाना भी शामिल है। मामले के मानवीय पहलुओं से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित न्यायाधीशों की समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने पीठ को दो मुद्दों की जानकारी दी, पहला, मणिपुर के मोरेह क्षेत्र में नाकाबंद की वज से बुनियादी राशन प्राप्त करने में परेशानी और दूसरा , कुछ राहत शिविरों में खसरा और चिकनपॉक्स का प्रकोप फैलना। जिसके बाद ये निर्देश पारित किए गए। 


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