By अंकित सिंह | Jun 04, 2022
यह 21 वीं सदी का भारत है। यह एक बार फिर से विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर होने का दावा करने वाला भारत है। लेकिन इस भारत में ना जाने अब भी कितनी समस्याएं हैं जो कि मुंह बाए खड़ी हैं। पर हमारे हुक्मरानों की नजर वहां तक पहुंच ही नहीं पाती। हुक्मरानों के तो दावे बड़े-बड़े पर हैं पर उसकी जमीनी हकीकत कुछ और है। कुछ ऐसा ही नजारा बिहार में देखने को मिला जो कि ना सिर्फ हमारे विकास के दावों की पोल खोल रहा है। बल्कि उन हुक्मरानों को भी आईना दिखाने का काम करता कर रहा जो एसी कमरों में बैठकर लोक नीति बनाने का ढोंग करते हैं। यह हमारी सुस्त पड़ी प्रशासन व्यवस्था और उससे होने वाली आम समस्याओं का जीता जागता नमूना है।
पूरा मामला बिहार के सासाराम का है। हां, आप सही समझ रहे, यह वहीं सासाराम है जिसका इतिहास में खूब जिक्र मिलता है। दरअसल, सासाराम जिले में बिजली आपूर्ति ठप होने से डॉक्टर इमरजेंसी वार्ड में मोबाइल फोन की लाइट से मरीजों का इलाज करते हैं। बड़े-बड़े शहरों में बैठकर हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। उन अधिकारियों की तो बात ही नहीं करनी चाहिए जिनके लिए सिर्फ फाइल पर ही साइन करना बड़ा काम होता है। सदर अस्पताल के डॉ बृजेश कुमार से जब बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने साप तौर पर कहा कि कुछ समस्याओं के कारण अस्पताल में बार-बार बिजली कटौती होती है। हमें हर दिन ऐसी स्थिति से निपटना पड़ता है।
यह कहानी सिर्फ सासाराम की ही नहीं है। बल्कि देश में अभी भी ऐसे अनेक जिले हैं जहां लोगों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। विकास के दावे तो बड़े-बड़े किए जाते हैं पर वे दावे हकीकत में क्या है, इसे भी समझना होगा। नेता हो या अधिकारी, सभी को जमीन पर उतर के काम करना होगा। हम ऐसी स्वास्थ्य व्यवस्था के सहारे कोरोना जौसी महामारी से निपटने का दम भरते है, जो कि हास्यास्पद ही लगता है। देश में अब भी अस्पतालों की व्यवस्था की खराब है। इसे जल्द सुधारने की जरूरत है।