नयी दिल्ली। देश में
कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री
हर्षवर्धन ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि भारत में करीब 92 प्रतिशत मामले हल्के लक्षण वाले हैं और केवल 5.8 प्रतिशत मामलों में ऑक्सीजन थैरेपी की जरूरत पड़ी। हर्षवर्धन ने कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाये गये कदमों के बारे में राज्यसभा में एक बयान देते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि महामारी से निपटने के लिए देशभर में लॉकडाउन लगाने सहित सरकार द्वारा समय पर लिये गये फैसलों से संक्रमण के करीब 14-29 लाख मामलों को रोकने में और 37,000-38,000 लोगों को मौत से बचाने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि भारत में करीब 92 प्रतिशत मामले हल्के लक्षण वाले हैं और 5.8 प्रतिशत मामलों में ऑक्सीजन थैरेपी की जरूरत पड़ी वहीं 1.7 प्रतिशत मामले आईसीयू वाले रहे। उन्होंने कहा कि भारत में 11 सितंबर तक नोवेल कोरोना वायरस के कुल 45,62,414 मामले आए और 76,271 लोगों की संक्रमण से मृत्यु हो चुकी थी।
उन्होंने बताया कि संक्रमण से मृत्यु दर 1.67 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘‘अनुमान है कि सरकार के लिये गये फैसलों से संक्रमण के करीब 14-29 लाख मामलों को रोकने में और 37,000-38,000 लोगों को मौत से बचाने में मदद मिली।’’ हर्षवर्धन ने कहा कि अब तक 35,42,663 लोग संक्रमण से उबर चुके हैं और यह संख्या कुल मामलों का 77.65 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि सरकार देश में कोविड-19 के प्रकोप की रोकथाम के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है।’’ उन्होंने कहा कि संक्रमण और उससे मौत के सर्वाधिक मामले मुख्यत: महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, ओडिशा, असम, केरल और गुजरात से आये हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पूरी सरकार और संपूर्ण समाज के सहयोग से कोरोना वायरस से निपटने के प्रयासों के कारण भारत संक्रमण के मामलों और उससे जान गंवाने वाले रोगियों की संख्या को प्रति दस लाख आबादी पर 3,328 मामले और 55 लोगों की मौत तक सीमित रखने में सफल रहा है। यह , इसी तरह प्रभावित अन्य देशों की तुलना में दुनिया में सबसे कम दरों में से एक है। उन्होंने कहा कि संक्रमण के माध्यम और बिना लक्षण वाले संक्रमण जैसे महामारी के अनेक कारकों पर अब भी अनुसंधान किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘एक समय था जब पीपीई का स्वदेशी उत्पादन नहीं हो रहा था। आज हम इस मामले में आत्म-निर्भर हैं और निर्यात करने की भी स्थिति में हैं।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘मेरी अध्यक्षता में एक मंत्रिसमूह ने तीन फरवरी, 2020 को इसके गठन से लेकर अब तक 20 बार बैठक की हैं। इस मंत्रिसमूह में विदेश मंत्री, नागर विमानन मंत्री हैं।’’
हर्षवर्धन ने कहा कि कोविड-19 रोगियों के लिए पुन: उपयोग में लाये जा सकने वाली दवाओं के 13 क्लीनिकल परीक्षण तथा आधुनिक चिकित्सा उपचार की पद्धति का इस्तेमाल करते हुए परंपरागत ज्ञान का उपयोग कर उपचार के विकल्पों की सूची तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत में प्रमुख रूप से ध्यान कोविड-19 के टीके के विकास पर रहा है और 30 से अधिक टीकों को समर्थन दिया गया है जो विकास के विभिन्न स्तरों पर हैं। उन्होंने कहा कि ‘इम्युनोमॉड्यूलेटर सेप्सिवाक’ के दूसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। इसके अलावा पहली जड़ी-बूटी आधारित (फाइटोफार्मास्युटिकल) दवा एसीक्यूएच का दूसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है। हर्षवर्धन ने कहा कि ‘अश्वगंधा’ का एक रोगनिरोधक परीक्षण और ‘गुडूची प्लस पिप्पली’, यष्ठिमधु तथा पॉलीहर्बल आयुष औषधि (आयुष-64) के तीन परीक्षण मामूली रूप से अस्वस्थ कोविड-19 रोगियों पर करने की योजना है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में प्रभावी टीका निश्चित ही कारगर साबित होगा। हर्षवर्धन ने यह भी कहा कि आयुष मंत्रालय ने कोविड-19 के प्रबंधन और उसे कम करने के लिए अनेक उपायों के जरिये योगदान दिया है।