बाल अधिकारों की रक्षा में कहां खड़ा है संसार

By डॉ. रमेश ठाकुर | Nov 20, 2024

समूचे संसार में आज ‘विश्व बाल दिवस’ का 70वां संस्करण मनाया जा रहा है। स्थापना सन् 1954 में हुई थी जो प्रत्येक वर्ष 20 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देने के मकसद से विश्व भर में बच्चों के बीच जागरूकता लाने तथा नौनिहालां की आर्थिक दशा सुधार कल्याण में बदलाव लाने के लिए मनाया जाता है। ये दिवस बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना, उन्हें सुरक्षित वातावरण देना और उनकी शिक्षा व स्वास्थ्य पर ध्यान देने पर केंद्रित होता है। हाल वक्त में, बच्चों पर बढ़ते अत्याचार, बाल श्रम, और शिक्षा की कमी जैसी समस्याओं से मुकाबले के लिए हम सभी को गहरी नींद से जगाने का काम भी करता है ये आज का खास दिन। बाल रक्षा के क्षेत्र में जागरूकता फैलाना किसी एक मुल्क की जिम्मेदारी नहीं, सभी की है। इसलिए सामुहिक प्रयासों से ही थम पाएगी ये समस्या।

  

विश्व बाल दिवस-2024 की थीम है “हर बच्चे के लिए, हर अधिकार“ जो ये सुनिश्चित करने के प्रयासों का आह्वान करता है कि विश्व के सभी बच्चों को उनके मौलिक अधिकार प्राप्त हों, जिसमें शिक्षा, भोजन, आवास, स्वच्छता और हानिकारक काम से सुरक्षा का अधिकार मिले। शुरूआती बाल शिक्षा में अफगानिस्तान जैसे मुल्क बहुत पिछड़ गए हैं। हिंदुस्तान के दूर-दराज क्षेत्रों में भी हालात चिंतनीय हैं। कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित न हो, इसके लिए आज सभी को संकल्पित होना चाहिए। भारत में बाल दिवस 14 नवंबर को मनाया जाता है जो पिछले सप्ताह की संपन्न हुआ। भारत में ये दिवस पूर्व प्रधानमंत्री पं0 जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है। तब भी बाल अधिकारों की रक्षा के लिए सभी हिंदुस्तानियों को जागरूक किया जाता है। जबकि, चिंताएं पूरे संसार के बच्चों की कि जाती हैं, चिंताएं करनी भी चाहिए, क्योंकि हालात सभी देशों में एक समान ही हैं।

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बाल अधिकारों की रक्षा में विश्व का अभियान आज कहां खड़ा है। ‘विश्व बाल अधिकार रक्षक अभियान’ में कितनी तरक्की हुई और कहां-कहां रहीं खामियां? इन सभी बातां-तथ्यों की समीक्षा करने की सामूहिक रूप से विश्व को जरूरत है। क्योंकि किसी अभियान को 70 वर्ष निरंतर चलते रहना अपने आप में बड़ी बात होती है। सबसे पहले साल 1959 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों पर कन्वेंशन के तौर पर अपनाया। फिर 20 नवंबर को ही बच्चों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की वर्षगांठ हुई। उसके बाद आज के दिन को बाल दिवस के तौर पर मनाने का निर्णय हुआ। यूनिसेफ जैसे विश्व विख्यात यूनिट बाल कल्याण के क्षेत्र में कई अंतर्राष्ट्रीय संगठन बच्चों के अधिकारों के लिए कार्यरत हैं। बच्चे के मुकम्मल अधिकार सुरक्षित हों, उन्हें उनका अधिकार आसानी से मिले को ध्यान में रखकर ही यूनिसेफ से इस समय 198 देश जुड़े हुए हैं। बाल संरक्षण की दिशा में यूनिसेफ का कार्य सराहनीय है।


विश्व बाल दिवस पूरे संसार में बड़े उत्सव से मनाया जाता है जिसमें बच्चों को ढेर सारा स्नेह, उपहार और लाड-प्यार लोग देते हैं। क्योंकि बच्चे कल के भविष्य हैं और अपने-अपने मुल्क के धरोहर समान भी हैं। पर, र्दुभाग्य ये है कि बच्चों का बचपन मौजूदा वक्त में कोई एक नहीं, बल्कि तमाम सारी किस्म-किस्म की समस्याओं से घिरा पड़ा है। बाल मजदूरी से लेकर बाल तस्करी जैसे कलंक से पूरा संसार आहत है। कोई ऐसा मुल्क नहीं जहां बच्चे रोजाना हजारों की संख्या में गायब न होते हों? यूनिसेफ की माने तो संसार में सालाना 5 लाख से अधिक बच्चे लापता होते हैं। भारत का आंकड़ा तो और भी डरावना है, जहां हर साल करीब 96,000 हजार बच्चे गायब होते हैं। भारत गायब बच्चों खोजने और इस समस्या पर रोक के लिए हर कोशिश कर रहा है। ये समस्या न सिर्फ भारत में रूके, बल्कि समूचा विश्व भी इस चुंगल से बाहर निकले, को ध्यान में रखकर ही आज का विशेष दिवस मनाया जाता है। हालांकि, इस दिशा में उठाए गए ईमानदारी वाले कदम के चलते सफलता मिली हैं। पर, जितनी मिलनी चाहिए उतनी मिली नहीं? तय टारगेट तक कोई देश अभी तक नहीं पहुंच पाया।

  

पूरे संसार में ‘बाल तस्करी’ अब वैश्विक समस्या बन चुकी है। इसलिए आज का दिन दुनिया भर के बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए हम सभी को संकल्प लेने पर विवश करता है। नौनिहालों के सुधारों की वकालत और उनके अधिकारों की रक्षा करना, मदद करना और चैरिटी करने की भी प्रेरित करता है। बच्चों के अधिकारों में भेदभाव से मुक्ति, पारिवारिक जीवन का अधिकार और हिंसा से सुरक्षा करने के लिए जागरूक करता है। हालांकि, विगत कुछ वर्षों में बच्चों के अधिकारों को बनाए रखने में विश्व में अच्छी प्रगति हुई है, लेकिन बावजूद इसके कई चुनौतियां अभी भी बहुतेरी बरकरार हैं। इन चुनौतियों में हिंसा, दुर्व्यवहार, शोषण, भेदभाव, ग़रीबी, संघर्ष और ज़रूरी सेवाओं का न मिलना शामिल है। विश्व को मिलकर इन समस्याओं से लड़कर हराना होगा।


- डॉ. रमेश ठाकुर

सदस्य, राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान (NIPCCD), भारत सरकार!

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