By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 27, 2020
नयी दिल्ली। सरकार ने पिछले दो वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिये पुनर्पूंजीकरण बांड के तहत ब्याज भुगतान के रूप में 22,086.54 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को जारी ऐसे बांड पर 5,800.55 करोड़ रुपये का ब्याज भुगतान किया। ये बांड बैंकों में पूंजी डाले जाने के मकसद से जारी किये गये ताकि वे बासेल-तीन दिशानिर्देशों के तहत नियामकीय नियमों की जरूरतों को पूरा कर सके। आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार उसके बाद के वर्ष 2019-20 में इसके लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों बांड के एवज में 16,285.99 करोड़ रुपये का ब्याज भुगतान किया गया जो कि 2018-19 के मुकाबले तीन गुना अधिक है। बॉंड के जरिये पूंजी डालने की अवधारणा को सबसे पहले 2017 में पेश किया गया। उससे पहले, सरकार बैंकों को पूंजी बढ़ाने के लिये संचित निधि से नकद राशि दे रही थी। इससे राजकोषीय बोझ बढ़ रहा था। राजकोषीय दबाव कम करने के लिये सरकार ने अक्टूबर 2017 में नया तरीका निकाला जिसे बैंकों में पुनर्पूंजीकरण बांड नाम दिया गया।
इस व्यवस्था के तहत सरकार उन बैंकों को बांड जारी करती है जिन्हें पूंजी की जरूरत है। संबंधित बैंक उस बांड को लेते हैं और उसके एवज में सरकार को पैसा मिलता है। इस तरह सरकार को जो राशि प्राप्त होती है, उसे बैंक की इक्विटी पूंजी में डाला जाता है। इससे सरकार को वास्तव में अपनी जेब से कुछ भी नहीं देना पड़ता। हालांकि, पुनर्पूंजीकरण बांड के रूप में बैंक जो राशि निवेश करते हैं, उस पर उन्हें ब्याज मिलता है। इससे सरकार को राजकोषीय घाटे को काबू में रखने में मदद मिलती है। इस प्रकार के बांड के लिये, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को चालू वित्त वर्ष के दौरान ब्याज के रूप में 25,200 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। इस साल का ब्याज दोनों वित्त वर्ष में संयुक्त रूप से दी गयी राशि के मुकाबले अधिक है। कुल मिलाकर सरकार ने पहले तीन वित्त वर्षों में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये पुनर्पूंजीकरण के रूप में जारी किये हैं।पहले साल सरकार ने 80,000 करोड़ रुपये पुनर्पूंजीकरण बांड जारी किये जबकि 2018-19 में 1.06 लाख करोड़ रुपये और पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में 64,443 करोड़ की पूंजी बांड के जरिये डाली गयी।