By रितिका कमठान | May 03, 2024
एमडीएच और एवरेस्ट मसालों में गुणवत्ता को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। इन कंपनियों के मसालों को कई देशों में बैन किया जा चुका है। गुणवत्ता को लेकर अब भारत में खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने भी सख्ती दिखाई है। अब एफएसएसएआई ने घरेलू बाजार में बिकने वाले फोर्टिफाइड चावल, डेयरी उत्पादों व मसालों जैसे खाद्य पदार्थों की जांच करने का फैसला किया है। इस संबंध में योजना बनाई जा चुकी है।
एफएसएसएआई अब फल व सब्जियों, मछली उत्पादों में साल्मोनेला जैसे खाद्य पदार्थों की भी निगरानी करेगा। इसके तहत अब एफएसएसएआई मसाला, जड़ी-बूटियां, दूध और दूध से बने उत्पादों की जांच करेगा। इन सभी के सैंपल की जांच की जाएगी ताकि खाद्य पदार्थों में मानक उल्लंघन ना हो सके।
गौरतलब है कि सिंगापुर और हांगकांग में एमडीएच और एवरेस्ट मसालों की गुणवत्ता में कमी देखने को मिली थी। गुणवत्ता संबंधी चिंताओं को देखते हुए एफएसएसएआई ने कहा था कि अब वो नेस्ले के सेरेलैक के नमूने भी लेगा। ये दावा किया गया था कि नेस्ले सेरेलैक में चीनी का इस्तेमाल किया जा रहा है। एफएसएसएआई ये जांचने के लिए सैंपल ले रहा है कि ब्रांडेड उत्पाद मानदंडों को पूरा करते हैं या नहीं करते हैं।
सूत्रों ने कहा कि एफएसएसएआई निर्यातित मसालों की गुणवत्ता को नियंत्रित नहीं करता है। पिछले महीने की शुरुआत में, हांगकांग के खाद्य सुरक्षा केंद्र (सीएफएस) ने उपभोक्ताओं से एमडीएच के मद्रास करी पाउडर (मद्रास करी के लिए मसाला मिश्रण), एवरेस्ट फिश करी मसाला, एमडीएच सांभर मसाला मिश्रित मसाला पाउडर और एमडीएच करी पाउडर मिश्रित मसाला पाउडर को न खरीदने और व्यापारियों को न बेचने के लिए कहा था।
सीएफएस ने कहा था कि दो भारतीय ब्रांड के कई प्रकार के प्री-पैकेज्ड मसाला-मिश्रण उत्पादों के नमूनों में कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड पाया गया था। सिंगापुर खाद्य एजेंसी ने भी ऐसे मसालों को वापस मंगाने का निर्देश दिया है। हांगकांग के निर्देश के बाद सिंगापुर खाद्य एजेंसी (एसएफए) ने भी भारत से आयातित एवरेस्ट फिश करी मसाला को वापस मंगाने का आदेश दिया। पिछले सप्ताह एफएसएसएआई ने कहा था कि वह नेस्ले के सेरेलैक बेबी अनाज के अखिल भारतीय नमूने एकत्र करने की प्रक्रिया में है। एक वैश्विक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कंपनी उत्पाद में उच्च चीनी सामग्री जोड़ रही है।