By अंकित सिंह | Nov 10, 2023
भोपाल के बगल में सीहोर में शिवराज सिंह चौहान के गढ़ से लेकर कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार कमलनाथ के गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा तक मतदाताओं में मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर जबरदस्त तरीके से हलचल देखी जा सकती है। चार बार सत्ता में रहने के बाद भी भाजपा जीत की उम्मीद कर रही है। हालांकि, पार्टी को एंटी इनकन्वेंसी से मुकाबला करना होगा। दूसरी ओर कांग्रेस को उम्मीद है कि भाजपा के सत्ता विरोधी लहर का उसे फायदा होगा। यही कारण है कि कांग्रेस की ओर से लगातार भ्रष्टाचार के आरोप भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर लगाए जा रहे हैं। दोनों पार्टियों की ओर से चुनावी वादों की भी बौछार की जा रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि ज्यादातर चुनावी वादों में लोगों को सीधे नगदी राहत पहुंचाने की बात कही गई है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर आगे क्या कुछ मध्य प्रदेश में होने वाला है?
हिंदुत्व की राह पर चलते हुए भाजपा ने कहीं ना कहीं मध्य प्रदेश में अपनी पकड़ को मजबूत रखी है। भाजपा लगातार दावा कर रही है कि उसने मध्य प्रदेश से बीमारू राज्य का टैग हटा दिया है। अब मध्य प्रदेश में लगातार विकास के कार्य हो रहे हैं। मध्य प्रदेश में बुनियादी सुविधाओं को मजबूत किया गया है। हालांकि, भ्रष्टाचार के भी कई बड़े आरोप लगे हैं। भाजपा यह भी दावा करती है की नगदी और सब्सिडी के माध्यम से लोगों को राहत भी पहुंचाई जा रही है। इसके लिए भाजपा लाडली बहना योजना, गरीबों को मुफ्त राशन जैसे योजनाओं को गिना भी रही है।
2018 में हुए चुनाव में कांग्रेस राज्य में आगे जरुर रही थी लेकिन मत प्रतिशत के मामले में वह भाजपा से पीछे थी। शिवराज सरकार की सबसे चर्चित लाडली बहन योजना में महिलाओं को मिलने वाली 1250 रुपए प्रति माह की राशि को बढ़ाकर भाजपा ने 3000 रुपये करने का ऐलान किया है जबकि कांग्रेस ने 500 रुपये में सिलेंडर और महिलाओं को 1500 रुपये की मासिक सहायता देने का वादा किया है। हालांकि राज्य के राजनीतिक विश्लेषक इस बात से इतर उन मुद्दों को भी उठाने की कोशिश कर रहे हैं जो मतदाताओं के बीच सबसे ज्यादा चर्चा में है।
मध्य प्रदेश में फिलहाल भ्रष्टाचार और रोजगार बड़ा मुद्दा है। पेपर लीक की वजह से छात्रों को परेशानी हुई है और यही कारण है कि कांग्रेस से लगातार सत्ता में आने के लिए इसे मुद्दा बना रही है। कई जगह पर लोगों का मानना है कि पार्टी से ज्यादा प्रत्याशी को देखकर इस बार हम अपना वोट डालेंगे। मीडिया में जो रिपोर्ट आती है उसके मुताबिक भी राज्य में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जितनी ज्यादा नाराजगी नहीं है, उससे ज्यादा नाराजगी स्थानीय विधायकों से है। व्यापम भर्ती घोटाला भी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। इसके अलावा हाल में हुए पटवारी घोटाले में भी भाजपा के लिए चुनौतियां बढ़ गई है।
भाजपा राज्य में राष्ट्रीय मुद्दों को भी उठा रही है। लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि इतने दिनों तक सत्ता में रहने के बावजूद भी भाजपा को राष्ट्रीय मुद्दों का सहारा लेना पड़ रहा है। भाजपा को राज्य में किए गए कामों को बताना चाहिए और राज्यों के मुद्दों पर ही यह चुनाव लड़ना चाहिए। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग का परिणाम भी एक बड़ा मुद्दा है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि लाडली बहना योजना भाजपा के लिए एक टर्निंग पॉइंट हो सकती है। हालांकि कैश एंड डिलीवरी मॉडल को लेकर भी मतदाताओं में असंतोष है। लोगों का मानना है कि किसी भी सरकार को देश हित और राज्यहित पर ज्यादा प्राथमिकता देनी चाहिए।