By अनन्या मिश्रा | Dec 19, 2024
जन्म और परिवार
महाराष्ट्र के नाडगांव जिले में 19 दिसंबर 1934 को प्रतिभा पाटिल का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम श्री नारायणराव पाटिल था। उन्होंने जलगांव के मूलजी जेठा कालेज से एमए और मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कालेज से कानून की पढ़ाई की थी। वहीं 07 जुलाई 1965 में प्रतिभा पाटिल ने डॉ. देवीसिंह रणसिंह शेखावत से शादी रचाई थी।
राजनीतिक सफर
साड़ी और बड़ी सी बिंदी लगाने वाली महिला राजनीति में आने से पहले सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम किया करती थीं। उन्होंने पहली बार जलगांव विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उनको जीत मिली थी। इसके बाद पाटिल 4 बार इलाहाबाद क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुनी गई थीं। वहीं साल 1985 से लेकर 1990 तक उन्होंने राज्यसभा सदस्य के तौर पर संसद में अपनी सेवाएं दीं।
फिर साल 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में प्रतिभा पाटिल को अमरावती संसदीय क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा था। फिर साल 2004 से लेकर 2007 तक उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल के रूप में कमान संभाली और साल 2007 में यूपीए ने उनको राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया। बता दें कि प्रतिभा पाटिल साल 2007 से लेकर 2012 तक राष्ट्रपति पद पर रहीं। वह देश की पहली महिला थीं, जो राष्ट्रपति पद पर आसानी हुईं।
विवादों में नाम
उनके साथ पहला विवाद तब जुड़ा, जब प्रतिभा पाटिन ने राजस्थान की एक सभा में कहा कि राजस्थान की महिलाओं को मुगलों से बचाने के लिए पर्दा प्रथा की शुरूआत हुई थी। उनके इस बयान पर इतिहासकारों ने कहा कि राष्ट्रपति पद की दावेदार प्रतिभा पाटिल के बाद इतिहास का ज्ञान शून्य है। वहीं मुस्लिम लीग जैसे दलों ने भी उनके बयान का विरोध किया था। वहीं समाजवादी पार्टी का कहना था कि वह मुस्लिम विरोधी विचारधारा रखती हैं।
वहीं प्रतिभा पाटिल के नाम दूसरा विवाद तब जुड़ा जब उन्होंने एक धार्मिक संगठन की सभा में अपने गुरू की आत्मा के साथ कथित संवाद की बात कही थी। वहीं उनके पति देवीसिंह रणसिंह शेखावत पर स्कूली शिक्षक को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किए जाने के आरोप लगे। कहा जाता था कि हत्यारोपी भाई को बचाने के लिए राजनीतिक पहुंच का पूरा इस्तेमाल किया गया था।
मिले ये सम्मान
देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को 01 जून 2019 को मेक्सिको के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ऑर्डेन मेक्सिकाना डेल एग्वेला एज्टेका’ (ऑर्डर ऑफ एज्टेक ईगल) से सम्मानित किया गया। यह सम्मान पाने वाले वह भारत की दूसरी राष्ट्रपति बनीं। बता दें कि इससे पहले यह सम्मान राष्ट्रपति रहे एस. राधाकृष्णन को दिया गया था।