By नीरज कुमार दुबे | May 14, 2022
कश्मीरी पंडित समुदाय के सरकारी कर्मचारी राहुल भट की हत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है क्योंकि देखा जाये तो 90 के दशक के बाद घाटी में कश्मीरी पंडितों का इतना बड़ा प्रदर्शन पहली बार देखने को मिला है। हालांकि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने राहुल भट के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें इंसाफ दिलाने का भरोसा दिलाया है और कहा है कि आतंकवादियों और उनके समर्थकों को इस जघन्य कृत्य के लिए बहुत भारी कीमत चुकानी होगी। लेकिन कश्मीरी पंडित समुदाय अपनी सुरक्षा के लिखित आश्वासन की मांग पर अड़ा हुआ है और धरना प्रदर्शन कर रहा है। शुक्रवार को भी कश्मीरी पंडितों ने बड़ा प्रदर्शन किया था जिसको रोकने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागने पड़े थे।
भले राहुल भट के हत्यारों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया हो लेकिन जिस तरह सरकारी दफ्तर में घुस कर राहुल भट की हत्या की गयी है उसको देखते हुए कश्मीरी पंडितों का कहना है कि जब हम सरकारी दफ्तर में भी सुरक्षित नहीं हैं तो बाहर आने जाने के दौरान कैसे सुरक्षित रहेंगे। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हालांकि राहुल भट की हत्या की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने की घोषणा करते हुए कहा है कि मृतक कर्मचारी की पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाएगी और उनकी बेटी की शिक्षा पर होने वाले खर्च को भी प्रशासन वहन करेगा। लेकिन स्थानीय कश्मीरी पंडितों का कहना है कि सरकारी आश्वासन अब तक खोखले ही सिद्ध हुए हैं। कश्मीरी पंडित उनके जीवन की रक्षा करने में सरकार के ‘‘नाकाम’’ रहने के खिलाफ धरने पर बैठे हुए हैं। वे सरकार से समुदाय की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करने की मांग कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि आतंकवादियों ने चडूरा शहर में तहसील कार्यालय के भीतर घुस कर राहुल भट को गोली मारी थी। राहुल भट को प्रवासियों के लिए विशेष नियोजन पैकेज के तहत 2010-11 में क्लर्क के तौर पर सरकारी नौकरी मिली थी। राहुल भट की हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों ने प्रदर्शन किया जो घाटी में प्रधानमंत्री की प्रवासियों के लिए रोजगार पैकेज के तहत काम कर रहे हैं। इस बीच, जिला प्रशासन ने कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के सामूहिक इस्तीफा देने की खबरों का खंडन किया है।