By अंकित सिंह | Sep 10, 2022
जम्मू कश्मीर में अब धीरे-धीरे हालात सामान्य होते दिखाई दे रहे हैं। यही कारण है कि राजनीतिक गतिविधियों की शुरुआत हुई होती दिख रही है। इन सबके बीच आज जम्मू कश्मीर में सर्वदलीय बैठक हुई। इस बैठक में फारूक अब्दुल्ला के अलावा महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, युसूफ तारिगामी जैसे नेता मौजूद रहे। इस बैठक के बाद फारूक अब्दुल्ला का बयान भी सामने आ गया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आज सभी राजनीतिक दलों के नेता इस बैठक में उपस्थित रहे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि बाहरी लोगों को जम्मू कश्मीर में मतदान का अधिकार मिले। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम सीईओ द्वारा दिए गए आश्वासनों पर भरोसा नहीं कर सकते।
फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तनु तथा उन्होंने कहा कि पीएम ने कहा था कि हम दिल्ली की दूरी और दिल की दूरी को कम करेंगे। लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया है। अपनी इस बैठक के बाद फारूक अब्दुल्ला ने साफ तौर पर कहा कि अलग-अलग पार्टियों के लोग एकजुट होकर अलग-अलग मुद्दों पर बैठक कर रहे हैं। इन सभी दलों को लगता है कि हर दिन नए कानून के आने के बाद से उनके अधिकारों पर हमला हो रहा है। हम बाहर से आने वाली पार्टियों को स्वीकार नहीं करते हैं। आपको बता दें कि डीलिमिटेशन के बाद से जम्मू कश्मीर में चुनाव की घोषणा हो सकती है। हालांकि, कांग्रेस ने साफ तौर पर कह दिया है कि वह गुपकार गठबंधन का हिस्सा नहीं है।
आज की बैठक फारुख अब्दुल्ला के आवास पर हुई थी। जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के लिए भी फिलहाल स्थिति सहज नहीं है। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद जम्मू कश्मीर के कई और कांग्रेस नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के समर्थन में अपना इस्तीफा कांग्रेस को सौंप दिया था। आपको बता दें कि अगस्त 2019 से में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया था जिसके बाद से जम्मू कश्मीर की सभी राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार के इस कदम का विरोध किया था। फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेता लगातार जम्मू कश्मीर में फिर से 370 लागू करने की मांग करते रहे हैं।