अमृतसर से निकलकर किसान के बेटे ने संभाली हॉकी टीम की कमान, अब पेरिस में होगी Harmanpreet Singh की कड़ी परीक्षा

By Anoop Prajapati | Jul 07, 2024

पंजाब के धार्मिक शहर अमृतसर से निकलकर भारतीय हॉकी टीम की जिम्मेदारी संभालने वाले कप्तान हरमनप्रीत सिंह की पेरिस में होने वाले ओलंपिक खेलों में कड़ी परीक्षा होने वाली है। टोक्यो में भारत ने कांस्य पदक जीतकर 41 सालों से चले आ रहे पदक के सूखे खत्म कर दिया था। इस बार टीम पदक का रंग बदलने को लेकर निश्चित रूप से बेताब होगी। जिसका पूरा दारोमदार कप्तान हरमनप्रीत के कंधों पर होगा। हरमनप्रीत सिंह ने हॉकी करियर में एक ओलंपिक कांस्य पदक, जूनियर विश्व कप और एशिया कप जैसे ख़िताब अपने नाम किए हैं। रमनप्रीत सिंह ने ड्रैग-फ्लिक सुपरस्टार के रूप में विश्व हॉकी में अपना नाम कमाया है और हाल के वर्षों में भारतीय हॉकी को आगे बढ़ाने में उनका एक खास योगदान रहा है।


हरमनप्रीत सिंह का जन्म 6 जनवरी, 1996 को पंजाब के अमृतसर के जंडियाला गुरु बस्ती में एक किसान परिवार में हुआ था। बचपन में हरमनप्रीत ने अपने परिवार के साथ खेतों में खेती करने में मदद की और वो ट्रैक्टर भी चलाते थे। जिससे उनकी सहनशक्ति विकसित हुई। हरमनप्रीत अक्सर अपने पिता की आज्ञा से भारी वाहन भी चलाते थे, लेकिन ज़ंग लगी गियर की स्टिक से वो काफी संघर्ष किया करते थे। हालांकि, स्टिक के साथ लगातार संघर्ष ने हरमनप्रीत के हाथों को और मज़बूत बना दिया, जिससे उनकी शक्तिशाली ड्रैग फ़्लिक के लिए एक मज़बूत नींव तैयार हुई। पंजाब के इस युवा लड़के ने जल्द ही गियर स्टिक को हॉकी स्टिक में बदल दिया। 


अपनी प्रतिभा को और निखारने के लिए, हरमनप्रीत 2011 में जालंधर के सुरजीत अकादमी में शामिल हुए। जहां उन्होंने सीनियर गगनप्रीत सिंह और सुखजीत सिंह से काफ़ी गुण सीखे, जो पेनल्टी कार्नर के स्पेशलिस्ट माने जाते थे। हरमनप्रीत ने साल 2011 में सुल्तान जोहोर कप में जूनियर नेशनल टीम के लिए डेब्यू किया। इसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वो अपनी हॉकी स्टिक से मैदान पर गोल की बारिश करते रहे। तीन साल बाद हरमनप्रीत ने 2014 सुल्तान जोहोर कप में प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट का पुरस्कार जीता। जहां उन्होंने मलेशिया में यूथ टूर्नामेंट में 9 गोल किए और भारत को शीर्ष पुरस्कार जीतने में मदद की। जूनियर स्तर पर लगातार शानदार प्रदर्शन करने पर उनका सीनियर स्तर पर डेब्यू का रास्ता साफ़ हो गया। 


उन्होंने 3 मई, 2015 को एक टेस्ट सीरीज़ के दौरान जापान के ख़िलाफ़ मैदान में क़दम रखा। हरमनप्रीत ने युवा टीम के लिए भी खेलना जारी रखा और 2015 में जूनियर पुरुष एशिया कप का ख़िताब जीता, जहां उन्होंने 14 गोल किए। सीनियर स्तर पर, हरमनप्रीत ने 2016 में सुल्तान अजलन शाह कप के दौरान भारत के लिए अपना पहला गोल किया। उनके इस शानदार कारनामों की बदौलत उन्हें रियो 2016 खेलों के लिए ओलंपिक टीम में जगह मिल गई। हरमनप्रीत सिंह ने FIH प्रो लीग 2021-22 में अपना 100वां अंतरराष्ट्रीय गोल किया। 18 गोल के साथ वह टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर थे। इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम नीदरलैंड और बेल्जियम के बाद तीसरे स्थान पर रही। 


हरमनप्रीत ने 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को रजत पदक जीतने में भी अहम भूमिका निभाई। वो 9 गोल कर प्रतियोगिता में दूसरे सबसे बड़े गोल स्कोरर रहे। राष्ट्रीय टीम के लिए लगभग 200 मैचों में 150 से अधिक गोल करने के बाद, हरमनप्रीत सिंह को जनवरी 2023 में हॉकी विश्व कप के लिए भारतीय हॉकी टीम की कप्तानी सौंपी गई, जहां टीम निराशाजनक प्रदर्शन के बाद नौवें स्थान पर रही। उन्होंने हांगझोऊ में एशियन गेम्स 2023 में टीम को स्वर्ण पदक दिलाया, जिससे भारत ने पेरिस 2024 ओलंपिक गेम्स में भी अपनी जगह पक्की कर ली। हरमनप्रीत सिंह हांगझोऊ में 13 गोल के साथ भारत के सर्वोच्च स्कोरर रहे, जिसमें जापान के खिलाफ स्वर्ण पदक मैच में उनके दो गोल शामिल थे।

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