भारत की इंटरनेट सर्विस में लगातार 2G, 3G और 4G के बाद अब 5G सर्विस के रूप इजाफा जल्द होने के आसार नजर तो आ रहे हैं लेकिन कोई निश्चित तारीख महीना या साल मुकर्रर नहीं हो सका है कि कब भारत के इंटरनेट उपयोगकर्ता 5G नेटवर्क का लुत्फ इंटरनेट चलाने के लिये कर पायेंगे। करीब पिछले दो सालों से ये कयास लगातार लगाए जाते रहे कि जल्द भारत में 5G नेटवर्क के लिए टेस्टिंग शुरू होने वाली है लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम निकलकर सामने नहीं आए हैं। वहीं भारत के टेलीकॉम सेक्टर में अच्छा खासा दखल रखने वाली रिलायंस जियो कंपनी के मालिक मुकेश अंबानी ने 5G सर्विस के भारत में लाने के लिए उत्सुकता दिखाई है।
एक कारण और है, जिससे 5G की सर्विसेस भारत में जल्द मिलने की संभावनाओं को आकार मिलता दिख रहा है, आपको बता दें कि भारतीय बाजारों में 5G नेटवर्क सपोर्ट करने वाले कई फोन अलग-अलग स्मार्टफोन कंपनियों ने लॉन्च कर दिया है। यह ज्ञात हो कि भारत में 4G नेटवर्क की सुविधाओं के शुरू होने के काफी समय पहले से ही भारतीय मार्केट में 4G सपोर्ट सुविधा से लैस फोन आ गये थे। रिलायंस जियो के फाउंडर मुकेश अंबानी ने कहा है कि भारत में 5G स्पेक्ट्रम के आते ही हम 5G की सुविधा देने की पहले से सक्षम होंगे। दरअसल रिलायंस ग्रुप की डिजीटल जियो इंडस्ट्रीज ने 5G टेलीकॉम सॉल्यूशन डेवलप कर लिया है जिसकी मदद से 5G सर्विस देने में आसानी होगी।
भारत में जब कुछ साल पहले 4G सर्विस शुरू हुई थी तब इंटरनेट की दुनिया से लेकर स्मार्टफोन इंडस्ट्रीज में भी बड़ा और व्यापक बदलाव देखने को मिला था भारत के करोड़ों लोगों ने 3G, 2G सपोर्ट करने वाले फोन को बदलकर 4G कनेक्टिविटी वाले फोन खरीदना चालू किया था। भारतीय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में अचानक भारी बढ़ोतरी भी हुई थी।
कैसी होगी 5G टेक्नोलॉजी ऐसे समझिए?
मोबाइल नेटवर्क की पांचवी जनरेशन को 5G कहा जाता है। जिस तरह 4G सर्विस के आने से इंटरनेट की दुनिया में एक क्रांति आई थी ठीक उसी तरह 5जी सर्विस भारत में प्रारंभ होने पर इंटरनेट की स्पीड 4G की तुलना में कई गुना अधिक होगी। पहले से बेहतर वीडियो स्ट्रीमिंग और बेव लोडिंग हो सकेगी। फोन की बैटरी की खपत भी कम होगी। अक्सर मोबाइल टावर के दूर होने की वजह से फोन के इंटरनेट सर्विस पर बाधा आती है लेकिन 5G के आने पर यह समस्या भी दूर होगी। कुछ ही सेकंड में कई जीबी डाटा डाउनलोड और अपलोड किया जा सकेगा।
दुनिया में सबसे पहले साल 1980 में 1G आया था मगर इस वायरलेस तकनीक में केवल कॉलिंग की सुविधा ही मिल पाती थी। 1991 में 2G सर्विसेस को लांच किया गया इसमें मैसेजिंग की सुविधा यूजर्स को मिलने के साथ में कॉलिंग की सुविधा भी उपलब्ध थी। साल 1998 में मोबाइल नेटवर्क का तीसरा चरण आया जिसमें 3G लॉन्च किया गया। 3G सर्विस में यूजर्स को मोबाइल कॉलिंग के साथ अन्य सेवाओं के रूप में इंटरनेट चलाने की सुविधा के साथ ही वीडियो कॉलिंग करने की सुविधा भी मिलती थी, जिसमें मैक्सिमम 2 एमबीपीएस की स्पीड मिल रही थी।
साल 2008 में 4G नेटवर्क लॉन्च होते ही इंटरनेट की दुनिया में एक अलग क्रांति आई जिसने सब कुछ चेंज कर दिया। वीडियो कॉलिंग पहले से बेहतर तरीके से हो पाती थी, 3G के मुकाबले कई गुना ज्यादा एमबीपीएस की स्पीड इंटरनेट चलाने वाली यूजर्स के लिए मिलती थी। वहीं अब यदि भारत में 5G सर्विस शुरू होती है तो यह भी किसी डिजिटल क्रांति से कम नहीं होगी क्योंकि भारतीय बाजारों से लेकर तकनीकों में व्यापक बदलाव देखने को मिलेंगे।
3.5 गीगाहर्ट्ज से 6 गीगाहर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी के बीच 5G सर्विस 'सब-6 बैंड' में काम करने के लायक मानी जा सकती है। फुल HD वीडियो और फिल्में चंद सेकंडों में डाउनलोड होने की क्षमता 5जी सर्विस में मिलेगी। लेकिन तकनीकी जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह से लगातार 5G तक का सफर तय होगा वैसे ही यूजर्स को इन सर्विसेस को उपयोग करने के लिए खर्च भी ज्यादा करना होगा।
भारत में अगले वित्तीय वर्ष 2021 में 5G service शुरू होने की संभावना पूरे तरीके से नज़र आ रही है।
- शुभम यादव