इंडिया आउट का नारा देकर सत्ता में आई मालदीव की मुइज्जू सरकार के बुरे दिन शुरू हो गए हैं। मालदीव ने पहले तो भारतीय सैनिकों को दिल्ली का रास्ता दिखाया फिर हाइड्रोग्राफिक सर्वे एग्रीमेंट रिन्यु करने की बात से पल्ला झाड़ा तो उसे लगा कि भारत खामोशी से सब सह लेगा। लेकिन भारत ने बड़ा खेल कर दिया। आर्थिक आंकड़े चीन के चेले मुइज्जू के सिर दर्द को बढ़ा रहे हैं। मालदीव के राष्ट्रपति जितनी बार इन आंकड़ों को देख रहे हैं। उतनी बार परेशान हो जा रहे हैं। भारत ने बिना एक्शन लिए चीन की गोद में बैठे मालदीव से अपना बदला ले लिया है। मालदीव की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा असर देखने को मिल रहा है।
भारत के साथ दुश्मनी मोल लेने के कारण पिछले तीन महीनों में मालदीव को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। नई दिल्ली के साथ राजनयिक विवाद के बीच, मालदीव में भारतीय पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई है, जो हाल तक द्वीप राष्ट्र में आगंतुकों की सूची में शीर्ष पर थे। आंकड़ों के अनुसार, मालदीव का दौरा करने वाले शीर्ष पर्यटक समूह से भारतीय पिछले तीन हफ्तों में पांचवें स्थान पर खिसक गए हैं। पिछले तीन वर्षों में, 2 लाख से अधिक भारतीयों ने सालाना मालदीव का दौरा किया, जो कि कोविड के बाद किसी भी देश से सबसे अधिक है। हालाँकि, भारत का योगदान जो हाल तक सबसे अधिक था, फिसलकर पांचवें स्थान पर आ गया है। आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 28 जनवरी तक मालदीव में 1.74 लाख से ज्यादा पर्यटक आए, जिनमें से सिर्फ 13,989 भारतीय थे।
मालदीव का दौरा करने वाले देश के 18,561 पर्यटकों के साथ रूस चार्ट में शीर्ष पर है, इसके बाद इटली (18,111), चीन (16,529) और यूके (14,588) हैं। जर्मनी छठे स्थान पर है, उसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, पोलैंड और स्विट्जरलैंड हैं। 2023 में 17 लाख से अधिक पर्यटकों ने द्वीप राष्ट्र का दौरा किया, जिनमें से अधिकतम भारतीय (2,09,198) थे, उसके बाद रूसी (2,09,146) और चीनी (1,87,118) थे। मालदीव में भारतीय आगंतुकों की संख्या 2022 में 2.4 लाख से अधिक और 2021 में 2.11 लाख से अधिक थी। जानकार बता रहे हैं कि अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो बहुत जल्द ही मालदीव को 2 बिलियन डॉलर का भारी-भरकम घाटा उठाना पड़ सकता है। इस घाटे को भरने के लिए मालदीव क्या करेगा ये पूरी दुनिया को अच्छे से पता है। मालदीव की तरफ से इस घाटे को भरने के लिए चीन के आगे हाथ पसारेगा। बदले में तरस खाकर चीन उसे अपने कर्ज तले दबा देगा।