By अनन्या मिश्रा | Nov 28, 2024
आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपना जीवन देश को समर्पित कर दिया। वह अपनी मां-बाप की इकलौती संतान थे, लेकिन इसके बाद भी वह देश सेवा से कभी पीछे नहीं हटे। आज भी लोग उनकी बहादुरी को याद कर मिसाल देते हैं। बता दें कि हम बात कर रहे हैं शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की। आज ही के दिन यानी की 28 नवंबर को मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की मृत्यु हो गई थी। मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमलों में मेजर उन्नीकृष्णन शहीद हो गए थे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में....
जन्म और शिक्षा
केरल के कोझीकोड में 15 मार्च 1977 को संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म हुआ था। संदीप बचपन से ही आर्मी ऑफिसर पर देश की सेवा करना चाहते थे। संदीप स्कूल में भी हमेशा मिलिट्री कट हेयरस्टाइल रखते थे। उनके पिता इसरो से सेवानिवृत्त अधिकारी थे और मां हाउसवाइफ थीं। संदीप उन्नीकृष्णन ने बेंगलुरु के फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी। आर्मी ज्वॉइन करने का सपना पूरा करने के लिए साल 1995 में पुणे स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी एडमिशन लिया।
ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो
वह एनडीए के ऑस्कर स्क्वाड्रन में शामिल हुए और अपना 94वां कोर्स पासकर बिहार कमीशन प्राप्त किया। इसके बाद आतंकवादियों को खत्म करने और बंधक संकट को खत्म करने के लिए 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप ने ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो लॉन्च किया। यह एसएसजी एनएसजी का हिस्सा है। इस ऑपरेशन में 10 कमाडों की टीम के नेतृत्व का जिम्मा मेजर उन्नीकृष्णन ने उठाया था। मेजर उन्नीकृष्णन को ऑपरेशन टॉरनेडो में अदम्य साहस के लिए अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
कारगिल युद्ध
मेजर उन्नीकृष्णन को कारगिल युद्ध में भेजा गया। इस दौरान उनको अग्रिम चौकियों पर तैनात किया गया। यहां पर दुश्मन सेना भारी तोपें बरसा रही थी। पाक सैनिक लगातार छोटे हथियारों से भारतीय सेना पर हमला कर रहे थे। इसके बाद 31 दिसंबर 1999 को मेजर संदीप ने 6 सैनिकों की टीम के साथ एलओसी के पार 200 मीटर की दूरी पर एक पोस्ट पर दुश्मन सेना को हटाकर दोबारा कब्जा कर लिया, जिस पर पाकिस्तानी सैनिकों ने जबरन कब्जा कर रखा था।
मुंबई का आतंकी हमला 26/11
जब 26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकी हमला हुआ था, तो 28 नवंबर को मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के नेतृत्व में बहादुर कमांडो ताज होटल में दाखिल हुए। आतंकियों ने ताज होटल के तीसरी मंजिल पर कुछ महिलाओं को बंधक बनाया हुआ था और कमरा अंदर से बंद कर रखा था। जब मेजर उन्नीकृष्णन अपने साथी कमांडो सुनील यादव के साथ दरवाजा तोड़कर अंदर घुस रहे थे, तभी आंतकी की गोली कमांडो सुनील यादव को लग गई। इस दौरान मेजर संदीप ने आतंकियों को गोलीबारी में उलझा दिया और साथी कमांडो को बाहर निकाल लाए।
मृत्यु
इस मुठभेड़ के बाद जब मेजर उन्नीकृष्णन होटल की दूसरी मंजिल पर पहुंचे, तो आतंकियों ने उनकी पीठ पर गोली मार दी। बता दें कि आतंकियों ने होटल में रखे सोफे और मूर्ति के पीछे से संदीप उन्नीकृष्णन पर गोली बारी शुरूकर दी और 28 नवंबर 2008 को मेजर संदीप उन्नीकृष्णन आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए। जब उनका पार्थिव शरीर बेंगलुरु लाया गया, तो हजारों की तादात में लोग उनको श्रद्धांजलि देने के लिए घरों से निकल पड़े थे।