By विजयेन्दर शर्मा | Oct 17, 2021
ज्वालामुखी । ज्वालामुखी मंदिर में शयन आरती के दौरान श्रद्धालुओं से मारपीट के मामले से यहां सरकारी इंतजामों की भी पोल खुल गई है। ज्वालामुखी मंदिर सरकारी नियंत्रण में है। व आसानी से श्रद्धालुओं को सुलभ दर्शन कराना व उनकी सुरक्षा प्रशासन की जिम्मेवारी है। लेकिन इसके बावजूद यहां यात्रियों से मारपीट के किस्से आये दिन सुनाई देते हैं। जिन्हें अपनी आंखें खोलकर रखनी हैं वह आंखें बंद कर बेखबर हो जाते हैं।
शयन आरती के समय की घटना पर सवाल उठ रहे हैं। कोविड प्रोटोकॉल के तहत कांगडा के जिलाधीश निपुण जिंदल के स्पष्ट आदेश मंदिर प्रशासन को दिये गये हैं कि अगले आदेशों तक मंदिर में शयन आरती के समय किसी भी बाहरी लोगों को प्रवेश नहीं मिलेगा। व आरती के समय एक आरती करवाने वाला पुजारी के साथ उसका एक सहयोगी और भंडारी यानि स्टोर कीपर ही अंदर जायेंगे। इस दौरान शयन आरती के समय दरवाजा बंद कर बाहर सुरक्षाकर्मी तैनात रहेगा। आरती को बाहर से लाईव टेलिकास्ट से श्रद्धालु देख सकते हैं। जाहिर है अगर नियम की पालना हुई होगी तो ऐसी वारदात हो ही नहीं सकती।
लेकिन मौके के दौरान पंजाब से आये श्रद्धालुओं ने बताया कि शयन आरती के समय शैया भवन के दरवाजे बंद नहीं थे। जिससे वहां श्रद्धालुओं की भीड जमा हो गई। इस दौरान वहां ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मी श्रद्धालुओं से शयन आरती में चढावा या दूसरा सामान देने को कहने लगा। और श्रद्धालुओं की ओर से दिये गये सामान और चढ़ावे के पैसे को पूजा की थाली में रखा जा रहा था। लेकिन इस दौरान पंजाब से आये श्रद्धालुओं ने इसका विरोध किया व कहा कि जब वहां दान पात्र मौजूद है तो पैसे उसमें क्यों नहीं डाले जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि एक श्रद्धालु ने मोटी रकम वहां चढाई थी। लेकिन विरोध होता देख मंदिर कर्मियों ने शैया भवन का दरवाजा बंद कर दिया तो माहौल बिगड़ गया। दरअसल, दान पात्र में पैसा नहीं डाला गया तो इसी बात को लेकर सुरक्षा कर्मी व मंदिर के कर्मचारी की आपसी कहासुनी हो गई जो मारपीट में बदल गई। व मंदिर परिसर में ही कई लोग लहूलुहान हो गये।
दलील दी जा रही है कि इस सबसे बचा जा सकता था। अगर मंदिर प्रशासन निर्धारित नियमों की अनदेखी नहीं करता। कायदे से सुरक्षा कर्मी व मंदिर न्यास के पुजारी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिये। चूंकि उन्होंने ही बिना किसी अनुमति के मंदिर के दरवाजे खोल दिये । ताकि पैसा उन्हें मिल सके। प्रशासन को इस मामले में जांच करानी चाहिये ताकि असली आरोपी बेनकाब हो सकें।
अखिल भारतीय ब्राहम्ण महासभा के स्थानीय संयोजक वी के उपमन्यु ने कहा कि सारे विवाद की जड मंदिर में रखे दान पात्रों और सीसीटीवी का सही उपयोग न होना है। व डयूटी पर तैनात सभी लोग चढावे को मंदिर की गोलक में रखने ही नहीं देते। जिसका जब विरोध होता है तो अक्सर नौबत मारपीट की आ जाती है। और बाद में यह पैसा रहस्यमय तरीके से गावब हो जाता है।
इस बीच मंदिर अधिकारी डी एन यादव ने कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी मिली है। लेकिन दोनों पक्षों में मारपीट की वारदात बस स्टैंड पर हुई है। व मामला पुलिस तक गया है। लेकिन मंदिर में क्या हुआ इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। सीसीटीवी कैमरों की भी जांच की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद ही सही तस्वीर सामने आयेगी।