By अनुराग गुप्ता | Feb 06, 2022
मुंबई। महाराष्ट्र के कद्दावर नेता संजय निरुपम राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं। पहली बार उन्हें शिवसेना ने और फिर कांग्रेस ने राज्यसभा भेजा था। इसके अलावा वो मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमिटी के भी अध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा कई मौकों पर कांग्रेस आलाकमान को नसीहत देते हुए दिखाई दिए हैं, जब उन्हें मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष पद से हटाया गया था तो उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं पर जमकर भड़ास निकाली थी।
उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को चापलूसों से सावधान रहना होगा। अगर ऐसे लोगों को महत्व देंगे तो कांग्रेस की स्थिति भविष्य में और खराब हो जाएगी। इस दौरान उन्होंने पार्टी के मॉडल पर भी सवाल खड़ा किया था।
जनसत्ता में कर चुके हैं काम
6 फरवरी, 1965 को बिहार के रोहतास में जन्में संजय निरुपम ने पटना से राजनीति विज्ञान में बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद साल 1989 में उनकी शादी गीता निरुपम से हो गई। दंपत्ति की एक बेटी है और उनका पेशा पत्रकारिता हुआ करता था। उन्होंने सामना और जनसत्ता के कार्यकारी संपादक के रूप में और पंचजन्य के उप-संपादक के रूप में काम कर चुके हैं।
राजनीतिक करियर
शिवसेना से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले संजय निरुपम को बाल ठाकरे का समर्थन प्राप्त था तभी तो साल 1996 में उन्हें राज्यसभा भेजा था। हालांकि साल 2005 में संजय निरुपम ने मतभेदों के बाद शिवसेना को अलविदा कहकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
संजय निरुपम ने 2009 के लोकसभा चुनाव में उत्तरी मुंबई से अपनी किस्मत आजमाई और संसद पहुंचे। इसके बाद पार्टी ने उनका कद बढ़ाते हुए 2012 में प्रवक्ता बना दिया। हालांकि साल 2014 में मोदी लहर के सामने संजय निरुपम हार गए। उस वक्त उन्हें भाजपा उम्मीदवार गोपाल शेट्टी ने 2 लाख 17 हजार वोटों से हराया था।
कांग्रेस ने संजय निरुपण को 2015 में मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था लेकिन 2017 के बीएमसी चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहने के कारण उन्हें पद से हटा दिया गया। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।