Ramayana Yatra: प्रभु श्रीराम के हैं भक्त तो रामायण काल की इन जगहों को करें एक्सप्लोर, अनोखा होगा अनुभव

By अनन्या मिश्रा | Oct 02, 2023

वाल्मीकि द्वारा रामायण की रचना 5वीं शताब्दी में हुई थी। भगवान राम के भक्तों के दिलों में अभी भी रामायण जीवित है। रामायण को मानव जाति के इतिहास का सबसे महान ग्रंथ माना जाता है। भगवान राम, अपनी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास के दौरान भारत के कई हिस्सों का दौरा किया। इस आर्टिकल के जरिए हम आपको भगवान राम से जुड़ी कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताएंगे, जो कि भारत में अभी भी मौजूद हैं। भगवान राम के जन्मस्थल आयोध्या से लेकर लंका नगरी की अशोक वाटिका जहां रावण ने माता सीता को हरण करके रखा था। उन सभी महत्वपूर्ण स्थानों का उल्लेख किया गया है।


अयोध्या

अयोध्या को भगवान राम की नगरी कहा जाता है। यह प्राचीन शहर धार्मिक लिहाज से भी काफी अहम है। यहां पर भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। मान्यता के मुताबिक अयोध्या दुनिया के प्राचीन सभ्य शहरों में से एक है। यह शहर फैजाबाद के निकट उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। अयोध्या में राम मंदिर के साथ हनुमानगढ़ी और नागेश्वर मंदिर जैसे अन्य मंदिर भी स्थित हैं। राम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा निहाई पर भी स्थित है। अगर आप भी भगवान श्री राम के भक्त हैं, तो आपको भगवान राम की नगरी अयोध्या के दर्शन करने जरूर आना चाहिए।  


जनकपुर

माता सीता के जन्म स्थल को जनकपुर कहा जाता है। माता सीता राजा जनक की बेटी थीं। भगवान राम और माता सीता का विवाह स्थल भी जनकपुर है। जनकपुर भारतीय सीमा से लगभग 20 किलोमीटर दूर काठमांडू के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। हर साल हजारों भक्त विवाह पंचमी के अवसर पर सीतामढ़ी नामक स्थान पर भगवान राम और माता सीता के दर्शन के लिए जाते हैं। बताया जाता है कि विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह संपन्न हुआ था।


प्रयागराज

हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रयागराज भी है, इस स्थान को पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था। कहा जाता है कि जब भगवान राम 14 वर्ष के लिए वनवास पर गए थे। तब भगवान राम, देवी सीता और उनके छोटे भाई लक्ष्मण ने पावन नदी गंगा को पार किया था। प्रयागराज में भव्य कुंभ का मेला आयोजित किया जाता है। जिसे धार्मिक सभा के नाम से भी जाना जाता है। और सबसे दिलचस्प बात यह है कि प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम स्थल है। हिन्दू धर्म के लोग तीनों नदियों के संगम को अत्यधिक पवित्र मानते हैं।


चित्रकूट

रामायण में चित्रकूट का अहम स्थान है। क्योंकि इस स्थल पर भरत ने भगवान राम को राजा दशरथ के निधन के बारे में बताया था। साथ ही प्रभु श्री राम से अयोध्या वापस चलने का आग्रह किया था। रामायण के इस क्रम को भरत मिलाप के नाम से जाना जाता है। लेकिन भगवान राम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया और वह भरत के कहने पर अयोध्या वापस नहीं गये। वह अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ लगभग 10-12 वर्षों तक वहीं रूके। चित्रकूट उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य के बीच में स्थित है।


पंचवटी

पंचवटी में भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ रूके थे। पंचवटी में हुई घटनाओं से भगवान राम , देवी सीता और लक्ष्मण का जीवन बदल गया था। लंका के राजा रावण की बहन सुर्पणखा जब पंचवटी में लक्ष्मण से उनसे अपनी शादी का प्रस्ताव लेकर आई। तो लक्ष्मण ने क्रोध में आकर शूर्पनखा की नाक काट ली और इस बात का बदला लेने के लिए रावण ने सीता का हरण कर लिया था। वर्तमान समय में पंचवटी को नासिक के नाम से जाना जाता है। यह महाराष्ट्र में स्थित है। इसी शान्त स्थान पर राम कला मंदिर भी स्थित है। यह मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यहां लोकप्रिय पंचमुखी हनुमान मंदिर भी स्थित है। इसके दर्शन के लिए आपको जरूर आना चाहिए।


अशोक वाटिका

जब लंका के राजा रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था और उन्हें अपने राज्य लंका ले गया था। तब सीता ने लंकापति के महल में रहने से इंकार कर दिया था और वह अशोक के पेड़ के नीचे रहने लगी थीं। तभी से इस स्थान को अशोक वाटिका के नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में अशोक वाटिका श्रीलंका के शहर नुवारा एलिया के पास हकगला बॉटनिकल गार्डन में स्थित है। 


रामेश्वरम

लंका तक पहुंचने के लिए भगवान राम की वानर सेना ने रामेश्वरम में राम सेतु का निर्माण किया था। लंका से लौटते समय माता सीता ने वहां पर एक शिवलिंग का भी निर्माण किया था। रावण का वध करने के बाद भगवान श्री राम ने सबसे पहले यहीं आकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की थी।


ऋष्यमुख पर्वत

यह स्थान रामायण के महत्वपूर्ण स्थानों में प्रसिद्ध स्थान है। ऋष्यमुख पर्वत वही स्थान है जहां भगवान राम पहली बार अपने सबसे बड़े भक्त हनुमान से मिले थे। कहते हैं कि हनुमान जी का जन्म अंजनेय पहाड़ियों पर हुआ था। यह वर्तमान में कर्नाटक में स्थित है, जोकि ऋष्यमुख पर्वत के पास स्थित है। यह स्थान ट्रेकर्स और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी प्रसिद्ध है।   

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