मलेरिया से भी गंभीर है डेंगू का दंश

By डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा | Oct 15, 2024

भारत सहित दुनिया के देशों में डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित दुनिया के देश डेंगू को लेकर अब गंभीर हो गए हैं। इसका बड़ा कारण है कि दुनिया के 130 देश डेंगू की जद में आ चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस समय 4 अरब लोग डेंगू से प्रभावित हो रहे हैं और 2050 तक यह आंकड़ा पांच अरब को पार कर जाएगा। भारत की बात की जाए तो देश के लगभग हर प्रदेश में डेंगू के नित नए केस सामने आ रहे हैं। भले ही यह माना जाता हो कि डेंगू के कारण मौत की दर बहुत कम है और सामान्यतः डेंगू सामान्य पेरासिटामोल और डॉक्टरों के सलाह के अनुसार पेय पदार्थ एलोरा ज्यूस आदि लेने से ठीक हो सकता है। हालांकि कोल्ड ड्रिंक की सलाह नहीं दी जाती है। सामान्यतः यह माना जाता है कि डेंगू के कारण तेजी से प्लेटरेट में कमी आती है पर विशेषज्ञों का मानना है कि प्लेटरेट से भी ज्यादा गंभीर होता है ब्लड प्रेशर में कमी आना है। प्लेटरेट के साथ ही ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखना जरुरी हो जाता है। यह ध्यान रखना अधिक जरुरी हो जाता है कि ब्लड प्रेशर लो नहीं होना चाहिए। डेंगू का असर सीधे लीवर पर पड़ता है और ब्लड के अंतःस्राव की समस्या हो जाती है। जो अपने आप में गंभीर होती है। उल्टी होने से डिहाईड्रेशन की समस्या अधिक गंभीर हो जाती है। दरअसल एक समस्या यह है कि डेंगू का पता भी तीन चार दिन बाद पता चलता है। इसलिए सावधानी सबसे बड़ी जरुरी हो जाती है। खैर सबसे अधिक चिंतनीय यह है कि डेंगू का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है विश्व स्वास्थ्य संगठन अब अधिक गंभीर हो गया है।

   

गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि इंडोनेसिया में ड्रोन से सर्वे कर मच्छरों के लार्वा की खोज करके नष्ट करने का यह परिणाम रहा है कि डेंगू के मामलों में 70 फीसदी तक कमी आई है। डेंगू से बचाव के लिए डेंगू मच्छर का खात्मा करने वाले एंटीडेंगू मच्छर को दुनिया के करीब 14 देशों में छोड़े जाने का निर्णय किया गया है। वैज्ञानिकों द्वारा प्रयोगशाला में एंटीडेंगू मच्छर का सफल प्रयोग किया जा चुका है और ब्राजील में बड़ा केन्द्र बनाते हुए बोल्वाशिया मच्छर का उत्पादन आरंभ कर दिया गया है। हांलाकि किन किन 14 देशों में एंटी डेंगू मच्छरों को छोड़ा जाएगा यह निर्णय विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अभी किया जाना है। पर एक बात साफ हो चुकी है कि डेंगू पर समय रहते रोक अभियान चलाया जाना आवश्यक है। क्योंकि डेंगू अब किसी देश की सीमा में बंधा नहीं रह गया है। देश दुनिया की सरकारों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने डेंगू बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। दरअसल डेंगू की गंभीरता को देखते हुए ही गैर सरकारी वर्ल्ड मास्कीटों प्रोग्राम के तहत एंटीडेंगू मच्छर विकसित किया गया है। 2023 में इंडोनेशिया में इनका प्रयोग किया जा चुका है और इनके प्रभाव से 95 प्रतिशत तक सकारात्मक प्रभाव देखा गया है। 

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हालांकि 2011 में आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में लगातार चार बरसाती सीजन में एंटीडेंगू मच्छर का प्रयोग किया गया और दावा किया गया कि वहां चार बरसातों में एक भी डेंगू का मामला सामने नहीं आया। इन मंच्छर में एक बैक्टिरिया वोल्वाशिया पापीएंटिस डाला गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे बीमारी वाले मच्छरों को वायरस फैलाने से रोकने में सफल होंगे। अब तक के परीक्षणों में यह खरे भी उतरे हैं। डेंगू की भयावहता को इसी से समझा जा सकता है कि 16 मई को भारत में राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाने लगा है। इस दिवस के आयोजन के माध्यम से लोगों में अवेयरनेस जागृत की जाती है। दरअसल डेंगू एडीज एजिप्टी प्रजाती की मादा मच्छर के कारण तेजी से फैलता है। बरसात के दिनों में यह मच्छर तेजी से फैलता है। जमा पानी और गंदगी आदि में डेंगू मच्छर तेजी से बढ़ते हैं। जुलाई से सितंबर, अक्टूबर तक डेंगू का प्रकोप अधिक रहता है। शुरुआती दो तीन दिन तक तो जांच में पता ही नहीं चलता है। डेंगू में 3 से 7 दिन अधिक गंभीर होते हैं। प्लेटरेट्स में तेजी से गिरावट होती है। हांलाकि डेंगू के कारण मौत तुलनात्मक रुप से कम है पर डेंगू का प्रभाव क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में एंटीडेंगू मच्छर शुभ संकेत माने जा सकते हैं। 


डेंगू के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए देश में ड्रोन का प्रयोग अधिक उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इंदौर में डेंगू मच्छरों को नष्ट करने के लिए ड्रोन के उपयोग का निर्णय किया गया है। देश के अन्य हिस्सों में भी ड्रोन का उपयोग प्रयोग के रुप में किया जाने लगा है। सवाल साफ है कि डेंगू के प्रकोप को चुनौती के रुप में लेते हुए सरकार को ठोस प्रयास करने होंगे। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी और गैरसरकारी सभी संस्थाओं को आगे आना होगा और सबसे अधिक लोगों में अवेयरनेस के साथ ही स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता और सफाई के प्रति चेतना विकसित करनी होगी।


- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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