By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 24, 2020
नयी दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान स्थानीय नागरिक की हत्या के आरोप में गिरफ्तार तीन व्यक्तियों को बुधवार को जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि पुलिस यह बताने में नाकाम रही है कि उसने उनकी पहचान कैसे की। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने इसरार अहमद, मोहम्मद तैय्यब और मोहम्मद रिजवान को 20-20 हजार रुपये के जमानती मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर राहत दी। अदालत ने अपने आदेश में कहा, “ पूरी रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने कहीं भी उल्लेख नहीं किया है कि उन्होंने मामले में कैसे आवेदकों (अहमद, तैय्यब और रिजवान) की पहचान की। रिपोर्ट में आवेदकों के खिलाफ तथ्यों की कमी है।“
अदालत ने तीनों आरोपियों को निर्देश दिया कि वे अपने फोन चालू रखेंगे और उसमें आरोग्य सेतु एप्प डाउनलोड करेंगे। अदालत ने उनसे जांच में शामिल होने और सुबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने को भी कहा। आरोपियों की ओर से पेश हुए वकील एमएम हाशमी ने अदालत से कहा कि आरोपियों को मामले में फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच पूरी हो गई है और उनको हिरासत में लेकर पूछताछ की और जरूरत नहीं है। वकील ने यह भी कहा कि दंगों में तीन व्यक्तियों की संलिप्तता दिखाने के लिए कोई वीडियो या इलेक्ट्रॉनिक सुबूत नहीं है।
राज्य की ओर से पेश हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक तौफीक अहमद ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि वे संगीन मामले में संलिप्तत पाए गए हैं और उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं। तीनों को 24 फरवरी को खजूरी खास इलाके में संशोधित नागरिकता कानून को लेकर भड़के दंगों के दौरान एक स्थानीय नागरिक की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।