By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 13, 2021
नई दिल्ली। ''अगर आप आचरण और शब्दों में एकता बनाए रखें, तो आप एक बेहतरीन कम्युनिकेटर बन सकते हैं। दीनदयाल उपाध्याय जी इस बात को अच्छे तरीके से जानते थे, इसलिए उनकी 'कथनी' और 'करनी' में कभी अंतर नहीं रहा। दिल से दिल का संवाद ही उनकी विशेषता थी।'' यह विचार हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलपति प्रो. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'शुक्रवार संवाद' में व्यक्त किए। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी विशेष तौर पर उपस्थित थे।
प्रो. अग्निहोत्री ने कहा कि संचार का उद्देश्य लोक कल्याण होता है। दीनदयाल उपाध्याय जी इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कठिन विषयों पर सहजता से संवाद करते थे। दीनदयाल उपाध्याय को सही मायनों में राष्ट्रीय पत्रकारिता का पुरोधा कहा जा सकता है। उन्होंने अपनी दूरदर्शी सोच से पत्रकारिता में ऐसी ही एक भारतीय धारा का प्रवाह किया। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि दीनदयाल जी सिर्फ एक राजनेता नहीं थे, वे एक पत्रकार, लेखक, इतिहासकार और अर्थशास्त्री भी थे। उनके चिंतन ने देश को एकात्म मानवदर्शन जैसा भारतीय विचार दिया। उन्होंने कहा कि सही मायने में दीनदयाल जी ने भारत को समझा और उसकी समस्याओं का हल तलाशने का प्रयास किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. प्रमोद कुमार ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह ने किया।