यदि आप प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 के तीन नए नियमों का पालन नहीं करेंगे तो सब्सिडी के पैसे वापस ले लेगी सरकार

By कमलेश पांडे | Nov 18, 2024

केंद्र सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी स्कीम प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) का जो दूसरा चरण लागू किया है, उसमें पात्र व्यक्तियों को क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (सीएलएसएस) के जरिए होम लोन पर रियायत मिलती है और घर खरीदारों को किफायती दर ब्याज मिलता है। इसका मकसद लोगों को घर खरीदने या बनाने में मदद करना है। क्योंकि पीएमएवाई सब्सिडी से होम लोन की अदायगी की लागत कम हो जाती है। इससे घर खरीदना या बनाना और भी किफायती हो जाता है।


लेकिन यदि आप कुछ शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो इस योजना के तहत दी गई ब्याज सब्सिडी वापस ली जा सकती है। सरकारी नियमों के मुताबिक, ऐसी तीन स्थितियां हैं जिनमें सब्सिडी वापस ली जा सकती है। इनमें कर्ज का एनपीए होना, घर का निर्माण रुकना और उपयोग प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत करने में विफल रहना शामिल है। इसका मतलब यह हुआ कि होम लोन की अदायगी की शुरुआत में उन्हें जो ब्याज सब्सिडी दी गई थी, उसे बाकी लोन की मूल राशि में जोड़ दिया जाएगा। इससे कर्ज लेने वाले को होम लोन की अवधि तक इस लोन राशि पर अधिक ईएमआई का भुगतान करना होगा।

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बता दें कि केंद्र सरकार ने 9 अगस्त 2023 को ही प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 लॉन्च की थी। दरअसल, इसे पहले चरण की जोरदार सफलता के बाद लाया गया है। इस योजना में सरकार जरूरतमंदों को घर बनवाने के लिए सब्सिडी देती है। यह क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (सीएलएसएस) होती है। इससे होम लोन चुकाने की लागत कम हो जाती है। लेकिन, यदि सब्सिडी का लाभ लेने वाला शख्स कुछ शर्तों को पूरा नहीं करता, तो उससे सब्सिडी वापस भी ली जा सकती है। 


इसलिए आइए यहां पर जानते हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। वहीं, किन-किन शर्तों को पूरा करने में चूक जाने पर सब्सिडी के पैसे ब्याज समेत वापस करने पड़ सकते हैं-


# समझिये कि किन-किन परिस्थितियों में वापस हो सकती है इस योजना के तहत मिली सब्सिडी?

भले ही केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार का जोर है कि अधिक से अधिक लोग प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ उठाएं। लेकिन, कुछ लोग जानबूझकर या मजबूरी में कुछ गलतियां करते हैं, जिससे क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी वापस जाने की स्थिति आसन्न खतरे के रूप में मंडराती रहती है।


पहली बात, यदि कर्ज लेने वाला शख्स बैंक को समय पर कर्ज की किस्तें नहीं चुका पाता है और उसका लोन नॉन-परफॉर्मिंग असेट यानी एनपीए बन जाता है तो....। इसका मतलब कि बैंक मान लेता है कि अब उसे ये लोन वाली रकम वापस नहीं मिलेगी। इस स्थिति में क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी वापस चली जाती है। फिर शेष रकम लोन धारक से ही वसूली जाती है।


दूसरी बात, यदि किसी लाभार्थी को क्रेडिट सब्सिडी मिल चुकी है और उसने मकान-निर्माण भी शुरू कर दिया है। लेकिन, किसी कारणवश वह निर्माण बंद करा देता है। इस सूरत-ए-हाल में लाभार्थी को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिली सब्सिडी वाली रकम लौटानी पड़ेगी।


तीसरी, यदि लाभार्थी मकान के इस्तेमाल का सर्टिफिकेट नहीं जमा कराता है, तब भी सरकार सब्सिडी वाली रकम वापस ले सकती है। नियम यह है कि इस सर्टिफिकेट को कर्ज की पहली किस्त बांटने की तारीख से एक साल से लेकर 36 महीनों के भीतर जमा करना होता है। कहने का तात्पर्य यह कि कर्ज देने वाले बैंक को आवास इकाई के पूरा होने के लिए नोडल एजेंसी को कर्ज राशि की पहली किस्त के वितरण की तारीख से एक वर्ष के भीतर या अधिकतम 36 महीने के भीतर उपयोग/अंतिम-उपयोग प्रमाण पत्र प्रदान करना होता है। इस प्रमाण पत्र के अभाव में बैंक को संबंधित नोडल एजेंसी को सब्सिडी वापस करनी होती है। इसलिए लोन लेने वाले को इन तीनों बिंदुओं पर सजगता बरतनी चाहिए।


# प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुछ बातों का हमेशा रखें ध्यान

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लोन लेने वाले व्यक्ति को यह पता होना चाहिए कि किसी भी परिवार के एक सदस्य को ही सब्सिडी मिलती है। इस एक परिवार में पति और पत्नी के साथ अविवाहित बच्चे भी शामिल होते हैं।


वहीं, आवेदक या उसके परिवार के नाम से कोई पक्का मकान नहीं होना चाहिए। उसे किसी अन्य आवास योजना से घर के लिए सहायता राशि भी नहीं मिली होनी चाहिए। अन्यथा उसकी पात्रता समाप्त समझी जाएगी और उसे मूल बाजार दर पर सभी धनराशि लौटानी पड़ेगी।


# सजगता पूर्वक आंकिए कि सब्सिडी खत्म होने पर क्या होता है?

आपको पता होना चाहिए कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ब्याज सब्सिडी को लाभार्थी के लोन अकाउंट में एडवांस में दिया जाता है। इसका मतलब है कि इसे होम लोन की शुरुआत में ही क्रेडिट कर दिया जाता है। इससे प्रभावी हाउसिंग लोन की रकम और ईएमआई कम हो जाती है। हालांकि भूलचूक वश सब्सिडी खत्म होने के बाद लाभार्थी को मूल ब्याज दर पर लौटना पड़ता है, जिससे ईएमआई में इजाफा हो जाता है। इसलिए इस मामले में फूंक फूंक कर कदम रखिए।


# जानिए, आखिर क‍िन्‍हें बनाया गया है नोडल एजेंसी और क्यों?

प्रधानमंत्री आवास योजना के अनुसार, तीन केंद्रीय नोडल एजेंसियां (सीएनए) बैंकों को सब्सिडी राशि वितरित करती हैं। इन तीन एजेंसियों में नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी), हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचयूडीसीओ) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) शामिल हैं। हालांकि, सरकार ने पीएमएवाई 2.0 के लिए संचालन दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। लेकिन, उसने इसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। लिहाजा, यह संभावना है कि पीएमएवाई 1.0 और 2.0 के तहत क्लॉबैक की शर्तें समान हों। इन्हें नोडल एजेंसी इसलिए बनाया गया है ताकि सरकारी नीतियों का कार्यान्वयन प्रभावी तरीके से सम्भव हो पाए।


# समझिए, पीएमएवाई की सब्सिडी ऐसे काम करती है-

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाले ब्याज सब्सिडी को कर्ज लेने वाले के लोन अकाउंट में एडवांस तौर पर दिया जाता है। कहने का तातपर्य यह कि होम लोन की शुरुआत में ही इसे क्रेडिट किया जाता है, जिसके चलते प्रभावी हाउसिंग लोन की रकम और ईएमआई कम हो जाती है। उल्लेखनीय है कि ब्याज सब्सिडी कोई रियायती ब्याज दर नहीं है, बल्कि इसका शुद्ध वर्तमान मूल्य (एनपीवी) है। इसका कैलकुलेशन पीएमएवाई 1.0 परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार 9 प्रतिशत की छूट दर पर किया जाता है।


गौरतलब है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ब्याज सब्सिडी को लाभार्थी के लोन अकाउंट में एडवांस में दिया जाता है। इसलिए यह योजना केंद्र सरकार की सबसे क्रांतिकारी योजनाओं में से एक मानी जाती है। हालांकि, यदि आप प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 के लाभार्थी हैं और उसके द्वारा बनाए हुए तीन नए नियमों का पालन नहीं करेंगे तो उसी आधार पर सरकार दी हुई सब्सिडी के पैसे वापस ले लेगी और आप हाथ मलते रह जाएंगे। इसलिए सावधानी पूर्वक सभी नियमों का अनुपालन करते रहें। 


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार

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