यूक्रेन में रूस के कब्जे वाले सीमावर्ती इलाके में इस महीने यूक्रेनी बलों ने एक बड़ी जवाबी कार्रवाई की, जिसके बाद युद्ध क्षेत्र पर, खेतों में और जले हुए टैंकों में अब भी शव पड़े हुए हैं। यूक्रेन के पश्चिमोत्तर हिस्से पर रूस के कई महीनों के कब्जे के बाद, रूसी सेना को वापस सीमा पार धकेल दिया गया, लेकिन रूस की ओर से इस इलाके में अब गोलाबारी जारी है। गोलाबारी के बावजूद जवानों का एक समूह ऊबड़-खाबड़ एवं कीचड़ से भरे मार्ग से उस क्षेत्र पर जाने में सफल रहा, जहां यूक्रेनी बलों के शव पड़े हैं। इन शवों का पता ड्रोन के जरिए चला था।
दोनों पक्षों के जवानों एवं आम नागरिकों के शवों की तलाश कर रहे ‘नेशनल गार्ड’ के कमांडर विताली ने कहा, ‘‘यह जोखिम भरा काम है। हम अपनी जान जोखिम में डालते हैं क्योंकि किसी भी समय रूस की ओर से गोलेबारी हो सकती है।’’ सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कमांडर ने अपना पूरा नाम नहीं बताया। शवों की तलाश कर रहे दल घटनास्थल का दस्तावेजीकरण कर रहे हैं और शवों के अवशेषों को एकत्र कर रहे हैं।
विताली ने बताया कि इन शवों का पोस्टमार्टम किया जाएगा, घटनास्थल की विस्तृत जानकारी रिकॉर्ड करके जांचकर्ताओं को भेजी जाएगी, जो संभावित युद्ध अपराधों की जांच करेंगे। रूसी सीमा से दो किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित कोजाचा लोपान गांव को यूक्रेनी बलों ने 11 सितंबर को फिर से अपने कब्जे में ले लिया। विताली ने कहा कि अधिकारियों के अनुसार, यहां एक अस्थायी जेल थी, जहां कैदियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया था और उनका दल इसके संभावित पीड़ितों की कब्रों की भी तलाश कर रहा है।
अस्थायी जेल में कैदियों के साथ रूसी बलों द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने के आरोपों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है। जहां से रूसी बलों को खदेड़ा गया है, वहां कुछ कब्रें मिली हैं। यूक्रेनी अधिकारियों ने कहा कि खासकर इजियुम में शहर के क्रबिस्तान के निकट 440 से अधिक कब्र मिली हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि इन क्रबों में सैनिकों के अलावा आम नागरिकों एवं बच्चों के शव हैं, जिन पर उनका उत्पीड़न किए जाने के निशान हैं।
भीषण युद्ध का गवाह बने इस सीमावर्ती क्षेत्र के गांवों में युद्ध के विनाशकारी निशान दिखाई देते हैं, घरों पर बमबारी किए जाने और उन्हें जलाए जाने के निशान हैं, मोर्टार के गोलों के कारण सड़कों पर गड्ढे हो गए हैं, सड़क के किनारे टूटी कारें पड़ी हैं। रूसी बलों को खदेड़े जाने के कुछ दिन बाद स्थानीय लोग यह देखने के लिए लौट गए हैं कि उनके घरों में क्या बचा है।
प्रदुदियांका गांव निवासी लारिसा लेतियुचा (56) को हमले के कारण अप्रैल में अपने परिवार के साथ घर छोड़कर जाना पड़ा था। वह रूसी बलों के जाने के बाद कुछ दिन पहले गांव लौटीं। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने तबाही देखी। मैं अब भी स्वयं को संभाल नहीं पा रही। हम जिंदगी भर यहीं रहे हैं। हमने इसे बनाया, इसमें मरम्मत कराई। हमने अपनी पूरी जिंदगी यहां लगा दी।