मथुरा। तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा ने सोमवार को यहां कहा कि भारत करुणा, प्रेम, आपसी सद्भाव का देश है और इसे दुनिया को निरस्त्रीकरण का संदेश देना चाहिए। दलाई लामा यहां महावन क्षेत्र में यमुना किनारे रमण रेती में स्थित उदासीन कार्ष्णि आश्रम में आए हुए थे। उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत है यहां की प्राचीन परम्पराएं जिन्होंने अहिंसा, करुणा का संदेश पूरी दुनिया को दिया है। इसीलिए यहां जैन, बौद्ध और सिख धर्म पैदा हो सके और बाहर से आए इस्लाम, ईसाई व पारसी धर्म के लोग आज भी मिल-जुलकर सद्भावनापूर्वक रहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा दो हजार से भी अधिक वर्षों से चला आ रहा है जो केवल यहां की सद्भाव व सहिष्णुता की संस्कृति के चलते ही सम्भव हो पाया है। इसलिए मैं समझता हूं कि भारत दुनिया को निरस्त्रीकरण का पाठ दे सकता है।’
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धर्मगुरु ने कहा, ‘भारत अत्यंत प्राचीन देश है। यहां अपार ज्ञान है किंतु आज देखने में आ रहा है कि भारतीय आधुनिक पाश्चात्य संस्कृति से बहुत तेजी से प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए मैं कहता हूं कि भारतीय खुद को जानें, अपनी महान प्राचीन संस्कृति को जानें। यदि वे आधुनिक ज्ञान-विज्ञान, अर्थशास्त्र आदि नवीन विषयों के प्रति आकर्षित हो, ऐसा कर रहे हैं तो जान लें, वैज्ञानिकों ने भी यह माना है कि आधुनिक युग में जो खोजें (आविष्कार) हुई हैं, उन विषयों को भारतीय ऋषि-मुनि ढाई-तीन हजार वर्ष पूर्व ही प्रतिपादित कर चुके थे।’